कर्नाटक में बुर्का, हलाल मीट (Halal Row) और मस्जिदों में लाउडस्पीकर के बाद अब एक और विवाद गहरा गया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, राज्य में कुछ हिंदूवादी संगठनों ने हिंदुओं से फल के व्यापार में आगे आने को कहा है। उन्होंने कहा कि फ्रूट्स मार्केट में अधिकांश फल मुस्लिमों द्वारा बेचे जा रहे हैं और यहाँ उनका पूर्ण एकाधिकार है। ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ ने मंगलवार (5 अप्रैल, 2022) को कहा कि फल बेचने वाले ज्यादातर मुस्लिम व्यापारी ही हैं।
संगठन का कहना है कि मुस्लिमों ने पूरे बाजार पर अपना कब्जा जमा लिया है और ये लोग कई पीढ़ियों से फल बेच रहे हैं, जिससे फल बेचने वाले नए और गरीब व्यापारियों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। समिति ने आगे कहा कि हम ये नहीं कह रहे कि आप किससे सामान खरीदें, लेकिन जिससे आप फल खरीदना चाहते हैं, उससे खरीदें। साथ ही कहा, “हम केवल यही चाहते हैं कि फल के व्यापार में हिंदू भी आगे आएँ। समिति ने यह भी कहा कि हम सरकार से भी गुजारिश करते हैं कि वो इस काम में गरीब फल व्यापारियों की मदद करें।”
बीते दिनों भाजपा महासचिव सीटी रवि ने हलाल मीट को लेकर एक बयान दिया था। उन्होंने हलाल मीट को ‘आर्थिक जिहाद’ करार देते हुए कहा था, “हलाल मीट बेचने का पूरा कॉन्सेप्ट ही यही है कि मुस्लिम ही आपस में व्यापार कर सकें। हलाल मीट बेचने वाला भी मुस्लिम और खाने वाला भी मुस्लिम, इसे गलत बताने में क्या गलत है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ हिंदूवादी संगठनों ने मीट की दुकानों पर लगे हलाल मीट के सर्टिफिकेट को हटाना भी शुरू कर दिया है। हिंदू जागृति समिति, श्रीराम सेना और बजरंग दल जैसे संगठनों ने हिंदुओं से अपील की है कि वो सिर्फ और सिर्फ झटके का मीट खाएँ जो हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार है। इसके अलावा कई हिंदू संगठनों ने मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकर को हटाने की माँग भी की है।
इसे लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा कि अजान का मसला जबरन नहीं बल्कि सबसे बातचीत करके सुलझाया जाएगा। इससे पहले कर्नाटक के मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने कहा था, “राज्य में मस्जिदों के ऊपर लाउडस्पीकर लगाकर अजान करने के संबंध में हल निकालने की जरूरत है।”