कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) का नवरेह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। श्रीनगर के सारिका देवी मंदिर में 32 साल बाद उत्सव जैसा माहौल है। 1990 के दशक में विस्थापन के बाद से देश-दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे पंडित कश्मीर पहुँचे और पूजा अर्चना की। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कश्मीरी पंडितों को शुभकामनाएँ दीं और उनके संघर्ष को याद किया। उन्होंने कहा कि वो समय जल्दी ही आने वाला है, जब कश्मीरी पंडित अपनी भूमि पर होंगे।
रविवार (3 अप्रैल 2022) को एक भागवत ने कहा, कश्मीरी पंडितों का पर्व नवरेह वर्ष का प्रारंभ होता है। साथ ही यह संकल्प का दिन भी होता है। परिस्थितियाँ आती-जाती रहती हैं, लेकिन अपने संकल्प को बनाए रखना और उसके लिए उद्यम करना आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति पर विजय हासिल करने के लिए संकल्प लेना चाहिए।
We’re (Kashmiri Pandits)bearing brunt of getting displaced from our home in our own country for the last 3-4 decades. It’s imperative that we shouldn’t accept defeat in this situation & face challenges: RSS chief Mohan Bhagwat while addressing Kashmiri Pandits in Navreh Mahotsav pic.twitter.com/eA3Hcom4Ta
— ANI (@ANI) April 3, 2022
कश्मीरी पंडितों के विस्थापन को लेकर उन्होंने कहा, “परिस्थितयाँ तो सब प्रकार की जीवन में आती हैं। परिस्थितियाँ आती हैं तो जाती भी हैं। परिस्थितियों में हमारी कसौटी होती है और उस कसौटी को पार करके हमारी सक्षमता में और वृद्धि होती है। इसलिए उस परिस्थिति में अपने उद्यम, अपने परिश्रम, अपने धैर्य और साहस का महत्व रहता है। उसी आधार पर हम उस परिस्थिति को पार भी करते हैं। हम आज ऐसी ही परिस्थिति में हैं। हम अपने ही देश में अपने घर से विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं और उससे पार पाएँगे।”
इजरायल से विस्थापित हुए यहूदियों के संघर्ष को याद करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, “परिस्थिति के सामने हारना नहीं चाहिए। अपनी भूमि से सारी दुनिया भर में इजरायल के लोग भी परिस्थिति के चलते बिखर गए थे। उनका भी एक त्योहार होता है और उस दिन वो संकल्प करते थे कि अगले वर्ष यरुशलम चलेंगे। इस संकल्प को उन्होंने 1800 वर्ष तक जारी रखा। पहले 1700 वर्ष तो उन्होंने केवल संकल्प लिया और अगले 100 साल के उद्यम में फिर से उसी भूमि में एक स्वतंत्र इजरायल को स्थापित किया। अगले 30 वर्षों में सब बाधाओं का उन्होंने शाश्वत ईलाज किया और आज इजरायल को दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों में बना दिया।”
कश्मीर फाइल्स फिल्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर के पीड़ितों के साथ है, इसका सबूत इस फिल्म के दौरान देखने को मिला। विस्थापन की विभीषिका का सत्य चित्र दुनिया के सामने लाया गया और इसने भारत के लोगों को झंझोड़ कर जगा दिया। भागवत ने कहा कि इस फिल्म ने स्पष्ट कर दिया है कि कितना सचेत रहने की जरूरत है। भागवत ने कहा कि कश्मीरी पंडित दुनिया भर में विस्थापित हुए हैं, लेकिन अभी उनके पास अपनी एक भूमि और है और वह है भारत की भूमि। पूरा भारत आज कश्मीरी पंडितों के साथ है। उस साथ के चलते परिस्थितियाँ बदल रही हैं।
विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास को लेकर भागवत ने कहा कि भारत के लोगों की भावनाओं के देखकर लगता है कि विस्थापित कश्मीरी अगले वर्ष तक अपने घर और भूमि पर फिर से रहने लगेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें अब देरी नहीं है। यह निश्चित होगा और जल्दी होगा।