राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी ने राम मंदिर मामले पर कहा है कि 1980-90 से जो आंदोलन चल रहा है वो तब तक जारी रहेगा जब तक मंदिर बन नहीं जाता। साथ ही यह भी लिखा कि हम न्यायालय से यह अपेक्षा करते हैं कि वो शीघ्रता से इस संदर्भ में फ़ैसला दे। आपको बता दें कि कोर्ट ने 8 सप्ताह का समय मध्यस्थता के लिए तय किया था। कोर्ट की तरफ से आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर, मध्यस्थता कानूनों के विशेषज्ञ श्रीराम पंचू और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्लाह को मध्यस्थता पैनल के लिए नामित किया गया है।
RSS General Secretary Bhaiyyaji Joshi on Ram Temple: Hum maante hain ki satta mein baithe hue logon ko abhi Ram Mandir ka virodh nahi hai. Unki pratibadhta ko lekar humare mann mein koi shanka nahi hai. pic.twitter.com/fu1iFiTOoo
— ANI (@ANI) March 10, 2019
न्यूज़ एजेंसी ANI के अनुसार भैय्या जी जोशी ने केंद्र सरकार पर भरोसा जताते हुए कहा कि अभी भी सरकार की निष्ठा पर हमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा “हम मानते हैं कि सत्ता में बैठे हुए लोगों में अभी राम मंदिर का विरोध नहीं है। उनकी प्रतिबद्धता को लेकर हमारे मन में कोई शंका नहीं है।”
इससे पहले गुरुवार (मार्च 10, 2019) को सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि मामले पर सुनवाई करते हुए मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। न्यायालय के इस निर्णय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। संघ ने अयोध्या मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने के निर्णय को ‘आश्चर्यजनक’ बताया था।
RSS: In Ram-janmabhoomi case, instead of accelerating the judicial process to end the long drawn dispute, Supreme Court has taken a surprising stand. That the SC should find no priority for this sensitive subject associated with deep faith of Hindu society is beyond understanding pic.twitter.com/g3Fk89YVj8
— ANI (@ANI) March 9, 2019
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक की रिपोर्ट में यह कहा गया था कि अयोध्या मामले में न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी लाने के विपरीत उच्चतम न्यायालय ने एक आश्चर्यजनक फैसला लिया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि न्यायालय का हिन्दू धर्म के संवेदनशील विषयों को प्राथमिकता न देना समझ के बाहर है।
RSS: In Ram-janmabhoomi case, instead of accelerating the judicial process to end the long drawn dispute, Supreme Court has taken a surprising stand. That the SC should find no priority for this sensitive subject associated with deep faith of Hindu society is beyond understanding pic.twitter.com/g3Fk89YVj8
— ANI (@ANI) March 9, 2019