विजयादशमी (5 अक्टूबर 2022) के अवसर पर सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) पर जोर देते हुए इसके लिए एक समान कानून की पैरवी की। मौका था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विजयादशमी समारोह का। हर साल दशहरे पर होने वाले यह संघ का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। माउंट ऐवरेस्ट फतह करने वाली संतोष यादव मुख्य अतिथि थीं। पहली बार इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कोई महिला बनी हैं।
Maharashtra: #Vijayadashami2022 celebrations underway at RSS Headquarters in Nagpur.
— ANI (@ANI) October 5, 2022
RSS chief Mohan Bhagwat, Union Minister Nitin Gadkari and Deputy CM Devendra Fadnavis present
Santosh Yadav, the first woman to climb Mount Everest, is the chief guest. pic.twitter.com/F1grkQkEu1
इस खास अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित रहे। इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने महिलाओं की भूमिका, जनसंख्या असंतुलन समेत कई बड़े मुद्दों पर बात की।
भागवत ने कहा कि शक्ति ही शुभ और शांति का आधार है। नारियों को लेकर कहा, “हम उन्हें जगत जननी मानते हैं, लेकिन उन्हें पूजाघर में बंद कर देते हैं ये ठीक नहीं है। मातृशक्ति के जागरण का कार्यक्रम अपने परिवार से प्रारंभ करना होगा, फैसला लेने में महिलाओं को भी शामिल करना होगा।”
Coincidently the delightful and honorable presence of today’s chief guest, Smt. Santosh Yadav represents that Shakti and sentience. Twice, she has climbed the great heights of Gauri Shankar. #RSSVijayadashami2022
— RSS (@RSSorg) October 5, 2022
मोहन भागवत ने आगे कहा, “2017 में विभिन्न संगठनों में काम करने वाली महिला कार्यकर्ताओं ने भारत की महिलाओं का सर्वांगीण सर्वेक्षण किया। महिलाओं के बिना विकास संभव नहीं है। जो काम मातृ शक्ति कर सकती हैं, वह काम पुरुष भी नहीं कर सकते। इसलिए उनको प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना जरूरी है।” उन्होंने यह भी कहा, “शासन व प्रशासन के इन शक्तियों के नियंत्रण व निर्मूलन के प्रयासों में हमको सहायक बनना चाहिए। समाज का सबल व सफल सहयोग ही देश की सुरक्षा व एकात्मता को पूर्णत: निश्चित कर सकता है।”
उन्होंने कहा, “समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ व द्वेष के आधार पर दूरियाँ और दुश्मनी बनाने का काम स्वतन्त्र भारत में भी चल रहा है। उनके बहकावे में न आते हुए उनकी भाषा, पंथ, प्रांत, नीति कोई भी हो उनके प्रति निष्ठुर होकर निर्भयतापूर्वक उनका प्रतिकार करना चाहिए।”
मोहन भागवत ने जनसंख्या को लेकर भी बड़ी बातें कहीं। उन्होंने कहा, “जनसंख्या बोझ है, लेकिन ये साधन भी बन सकता है। जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।” उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि एक भूभाग में जनसंख्या में संतुलन बिगड़ने का परिणाम है कि इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सूडान व सर्बिया से कोसोवा नाम के नए देश बन गए हैं। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति गंभीर मंथन के बाद तैयार की जानी चाहिए और इसे सभी पर लागू किया जाना चाहिए।
वहीं, पद्मश्री संतोष यादव ने अपने सम्बोधन में कहा, “मैं पूरे भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के मानव समाज से अनुरोध करना चाहती हूँ कि वो आएँ और संघ के कार्यकलापों को देखें। यह शोभनीय एवं प्रेरित करने वाला है।” उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी को जाने उसके बारे में धारणा बना लेना भारतीय संस्कृति नहीं है।
“पूरे भारत ही नहीं, पूरे विश्व के मानव समाज को मैं अनुरोध करना चाहती हूँ कि वो आये और संघ के कार्यकलापों को देखे। यह शोभनीय है, एवं प्रेरित करने वाला है.” पद्मश्री सन्तोष यादव #RSSVijayadashami2022 pic.twitter.com/686TCfdmj0
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बतौर मुख्य अतिथि पहुँची संतोष यादव ने कहा, “मेरे हाव-भाव को देखकर लोग पूछते थे कि क्या तुम संघी हो? तब मुझे नहीं पता था कि संघ क्या है। आज मेरी किस्मत मुझे इस सर्वोच्च मंच पर लेकर आई है।” उन्होंने कहा, “हमारा सनातन धर्म और संस्कृति हमें पंचतत्वों का संतुलन बनाना सिखाती है। स्वस्थ रहना हमारे लिए जरूरी है। इससे ही हम अपने अपने लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।”