मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में बकरी चराने को लेकर दो गुटों में ऐसा विवाद हुआ कि एक RSS के कार्यकर्ता को अपनी जान गँवानी पड़ी। जानकारी के मुताबिक 18 मई को हुए इस विवाद में घायल राजेश फूलमाली ने 31 मई को अस्पताल में अपना दम तोड़ दिया।
राजेश की मौत की सूचना पाते ही जिला प्रशासन सक्रिय हो गया और संभावित तनाव को रोकने के लिहाज से पूरे गाँव को छावनी में तब्दील कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 18 मई को खंडवा जिले के हापला और दीपाला गाँव के लोगों के बीच ये झड़प हुई थी। इसमें राजेश गंभीर रूप से घायल हुए थे और 13 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद रविवार को उसने इंदौर के अस्पताल में दम तोड़ दिया।
A young #RSS worker who was admitted in hospital after the clash between two communities over the trivial issue of goat grazing in Khandwa has died #Lockdownextention @ChouhanShivraj @DGP_MP @OfficeOfKNath @RSSorg @ndtvindia @ndtv pic.twitter.com/UkO7IMZp0o
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) June 1, 2020
उसके शव को सोमवार (जून 1, 2020) को जब अंतिम संस्कार के लिए खंडवा में उसके गाँव लाया गया, तो गाँव वालों ने हत्यारों की गिरफ्तारी, मुआवजा और सरकारी नौकरी की माँग को लेकर अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया।
हालाँकि प्रशासन के बहुत समझाने के बाद वो अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए। इस दौरान के उनके साथ भाजपा के स्थानीय नेता राम डंगोरे और देवेंद्र वर्मा भी मौजूद रहे।
खांडवा जिले के एसपी ने इस संबंध में न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस मामले के मद्देनजर 22 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनमें से 19 को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। बाकी बचे आरोपितों को पकड़ने का भी प्रयास जारी है।
इसके अलावा रामनगर पुलिस चौकी के इंस्पेक्टर प्रभारी को मामले में ढिलाई के लिए जिला पुलिस लाइंस में अटैच कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि दो पक्षों के बीच विवाद हुआ था, जिसमें दोनों ही पक्षों ने थाने में एफआईआर कराई थी।
वहीं, स्थानीय विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक सदस्य नवनीत अग्रवाल ने आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या होने पर यह आरोप लगाया है कि उनकी मौत दो समुदायों के बीच झड़प में नहीं हुई, बल्कि वो पूर्व नियोजित भीड़ की हिंसा का शिकार बने। हालाँकि पुलिस का कहना है कि अब तक की जाँच में कोई ऐसा तथ्य नहीं आया है।