दिल्ली के शाहीन बाग़ सहित पूरे देश में हुए सीएए विरोधी आन्दोलनों का लब्बोलुआब यही था कि कागज़ नहीं दिखाएँगे। लेकिन, कोरोना वायरस से उपजे ख़तरों के बीच सरकारी सहायता लेने के लिए लोग न सिर्फ़ लाइन में लगे हुए हैं, बल्कि कागज़ भी दिखा रहे हैं। मेरठ में अफवाह फैला दी गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के खाते में हज़ार रुपए डाले हैं। इसके बाद महिलाओं की भारी भीड़ मेरठ के कई बैंकों में पासबुक लेकर दौड़ी चली गई। बैंकों के बाहर भारी भीड़ जुट गई और महिलाओं की अधिकारी लगातार समझाते रहे। इनमें अधिकतर दूसरे मजहब महिलाएँ थीं, जिन्होंने हंगामा किया।
समुदाय विशेष के पुरुष भी अपने-अपने घर की महिलाओं को लेकर बैंक पहुँचे। महिलाएँ माँग कर रही थीं कि उनके पासबुक पर प्रिंट कर दिखाया जाए कि रुपए आए हैं या नहीं। बता दें कि भारत सरकार ने ऐलान किया है कि जिन महिलाओं के पास जन-धन अकाउंट हैं, उनके खाते में अगले तीन महीने तक 500 रुपए डाले जाएँगे, यानी कुल 1500 रुपए की सहायता मिलेगी। जबकि महिलाओं के बीच अफवाह फ़ैल गई कि 1000 रुपए मोदी ने उनके अकाउंट में डाल दिए हैं। फिर क्या था। सभी अपने-अपने रुपए निकालने के लिए बैंकों की ओर भागीं।
इन महिलाओं ने ‘इंडिया टीवी’ से बात करते हुए दावा किया कि मोदी ने उन्हें जो पैसे दिए हैं, उसे निकालने नहीं दिया जा रहा है। कई लोगों ने इस भीड़ को देख नोटबंदी के बाद बैंकों में लगी भीड़ को याद किया। मेरठ ही नहीं बल्कि अलीगढ़ में भी भीड़ जुटी। एक बैंक के अधिकारी ने बताया कि अफरातफरी के माहौल के कारण लोग 100 रुपए भी निकाल के ले जा रहे हैं। सभी महिलाएँ पासबुक व अन्य कागज़ लेकर बैंक पहुँची हुई थीं। बैंक के अधिकारियों ने सरकार से सहायता की गुहार लगाई। अलीगढ़ में तो अफवाह के कारण नगर निगम और डीएम ऑफिस के बाहर भी लोग पहुँच गए।
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने महिलाओं को रुपए के लिए कतार में लगे देख कर उन पर तंज कसा। लोगों ने कहा कि कोई भी सरकारी सहायता तभी मिलेगी, जब सही कागज़ दिखाए जाएँगे। बता दें कि मोदी सरकार द्वारा जो वित्तीय मदद का ऐलान किया गया है, वो सभी लाभार्थियों के खाते में ‘डायरेक्ट ट्रांसफर’ के जरिए भेजा जाएगा।