Tuesday, September 17, 2024
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हाई कोर्ट की फटकार के बाद घुसपैठियों पर जागी झारखंड सरकार, जिस जिले के बूथ पर 123% बढ़े वोटर वहाँ बनी जाँच कमिटी: 1467 बूथ पर सामने आया था ‘डेमोग्राफी चेंज’

साहिबगंज के उपायुक्त हेमंत सती ने अतिरिक्त कलेक्टर, सीओ और राजमहल के SDPO के साथ अन्य अधिकारियों को मिलाकर एक समिति बनाई है। यह जिले भर में बांग्लादेशी घुसपैठ की जाँच करेगी।

झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ को जाँच के लिए प्रशासन जागा है। संताल परगना के जिले साहिबगंज के उपायुक्त ने एक समिति गठित करके बांग्लादेशी घुसपैठ की जाँच चालू की है। साहिबगंज के उपायुक्त ने जिले के शीर्ष अधिकारियों को भी इसमें शामिल किया है।

साहिबगंज के उपायुक्त हेमंत सती ने अतिरिक्त कलेक्टर, सीओ और राजमहल के SDPO के साथ अन्य अधिकारियों को मिलाकर एक समिति बनाई है। यह जिले भर में बांग्लादेशी घुसपैठ की जाँच करेगी। यह समिति संथाल परगना के और जिलों में बनाने के आदेश भी कोर्ट ने दिए थे।

गौरतलब है कि जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की पीठ ने बुधवार (3 जुलाई 2024) को ये निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह दो सप्ताह के भीतर राज्य में मौजूद घुसपैठियों का पता लगाए, उनको चिन्हित करे और उन पर क्या कार्रवाई की गई, इसको लेकर रिपोर्ट दाखिल करे। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी रिपोर्ट माँगी थी।

इसके अलावा हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि संथाल परगना के सभी DC अपने आपस में सामंजस्य बनाएँ और बांग्लादेशी घुसपैठ की जाँच करें। हाई कोर्ट की यह सख्ती डानियल दानिश की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिखी थी।

इस याचिका में अदालत को बताया गया था कि राज्य के संथाल परगना के जो भी जिले बांग्लादेश से सटे हुए हैं, उनमें बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन सुनियोजित तरीके से झारखंड की जनजातीय लड़कियों से शादी करके उनका धर्मांतऱण करवा रहे हैं। नए मदरसे भी खुल रहे हैं। संताल परगना में गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़ जिले शामिल हैं।

हाई कोर्ट की इस टिप्पणी ने झारखंड की उस समस्या को सामने रखा था जो धीरे-धीरे नासूर बन चुकी है। संथाल परगना के जिले पश्चिम बंगाल से सीमाएँ साझा करते हैं। पहले घुसपैठिए बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल में आते हैं और यहाँ से फैलते हुए वह झारखंड में आ जाते हैं।

सिर्फ जमीन ही नहीं चुनाव में भी घुसपैठ

बांग्लादेशी घुसपैठियों की यह समस्या शादी करने और जमीन हथियाने तक सीमित नहीं रही है। इसका कनेक्शन लोकसभा चुनाव तक से जुड़ा है। हाल ही में भाजपा की रिपोर्ट में सामने आया है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में यह अप्रत्याशित बढ़त 20% से 123% तक की है। यह बढ़त इन 10 विधानसभा के कुल 1467 बूथ पर हुई है।

भाजपा ने बताया है कि सामान्यतः पाँच वर्षों में 15% से 17% की वृद्धि होती है, इसीलिए यह वृद्धि असामान्य है। भाजपा ने यह भी बताया है कि हिन्दू आबादी वाले बूथ पर वोटरों की संख्या में बढ़त मात्र 8% से 10% हुई है। भाजपा ने यह भी बताया है कि कई बूथ पर हिन्दू मतदाता घट भी गए हैं।

भाजपा की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस इन भी बूथ की जाँच हो तो डेमोग्राफी बदलने की एक साजिश सामने आएगी। भाजपा ने आरोप लगाया है कि विदेशी घुसपैठियों द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपना नाम वोटरों की सूची में दर्ज करवाया गया है, जिसके लिए अवैध रूप से कागज बनवाए गए हैं। 

नई नहीं है डेमोग्राफी बदलने की बात

झारखंड हाई कोर्ट की टिप्पणी को रेखांकित करने वाली काफी सारी घटनाएँ पहले भी सामने आ चुकी हैं। इससे पहले मार्च, 2024 में आजतक की एक रिपोर्ट में याचिका में बताई गई समस्या को लेकर ही बात की गई थी। आजतक की रिपोर्ट में बताया गया था कि यहाँ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए, पश्चिम बंगाल के रास्ते आते हैं। इसके बाद वह बस जाते हैं। इनमें से कुछ आदिवासियों की लड़कियों को निशाना बनाते हैं। जब लडकियाँ उनके दिखावे में फंस जाती हैं तो उनसे शादी कर ली जाती है।

शादी के बाद लड़की की कागजों में पहचान आदिवासी के तौर पर ही रहने दी जाती है। इसके बाद उस लड़की के नाम पर जमीन ली जाती है या फिर उसकी ही जमीन कब्जा ली जाती है। रिपोर्ट में बताया गया था कि यह सब करने के लिए बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को फंडिंग मिलती है। लड़की की पहचान आदिवासी रखने के पीछे सरकारी फायदे लेने के मकसद रहता है। इसके अलावा कई जगह उन लड़कियों को चुनाव भी लड़वाया गया, जिन्होंने मुस्लिमों से शादी की।

आजतक की रिपोर्ट में यह तक बताया गया था कि यहाँ घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशी इस जमीन में खनन के लिए भी ऐसा कर रहे हैं। कुल मिलाकर धीमे-धीमे इस इलाके की पहचान बदली जा रही है। बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड में घुसते ही फर्जी पहचान पत्र भी बनवा लेते हैं। इसमें इनकी मदद पहले से आकर बस चुके लोग भी करते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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