Friday, May 3, 2024
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बच्चों को पिलाते हैं शराब, पतियों को मारते हैं: संदेशखाली की 10 पीड़िताओं का दर्द, बोलीं- सुंदर औरतों का होता है यौन शोषण, बाकी करती हैं काम

एक महिला ने आजतक को बताया, "तृणमूल कॉन्ग्रेस के गुंडे 14-15 साल के बच्चों को शराब और बंदूक थमा देते हैं... अगर हम लोग राजनीति में भाग नहीं लेते तो हमें और हमारे परिवार वालों को मारने की धमकी दी जाती है।"

बंगाल के संदेशखाली में तृणमूल कॉन्ग्रेस के गुंडों के अत्याचारों का खुलासा एक और रिपोर्ट के जरिए हुआ है। ये रिपोर्ट आजतक की पत्रकार श्वेता सिंह ने संदेशखाली में जाकर की। इस रिपोर्ट में 10 महिलाओं ने अपने दर्द को उजागर किया है।

श्वेता सिंह से बात करते हुए एक (पहली) महिला ने बताया कि टीएमसी गुंडे उन्हें उनकी मर्जी के बगैर जबरन अपने पार्टी कार्यालय ले जाते हैं और कहते हैं कि रात में मीटिंग है और सबको वहाँ रहना जरूरी है।

दूसरी पीड़िता को कहते सुना गया, “वे दिन के किसी भी समय आते और हमें अपने साथ चलने के लिए मजबूर करते। भले ही हम घर पर खाना बना रहे हों, हमसे उम्मीद की जाती है कि हम घर का सारा काम छोड़कर पार्टी की बैठकों में शामिल हों। उन्होंने हमारी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर लिया है और हमें पट्टे का भुगतान नहीं करते हैं… हम कहाँ जाएँगे? पुलिस हमारी बात नहीं सुन रही है और महिला प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जवाबी एफआईआर दर्ज कर रही है।”

तीसरी पीड़िता ने बताया- “जब हम अपने पैसे माँगने जाते हैं, तो वे हमारे साथ गाली-गलौज करते हैं और हमें जबरदस्ती हमारे घरों से ले जाते हैं। अगर हम उनका विरोध करते हैं तो वे हमारे घर आ जाते हैं और घर के पुरुषों को धमकाते हैं। अगर हम पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हुए तो वे हमें अपहरण करने की धमकी देते हैं।”

चौथी पीड़ित महिला ने कहा- “वे (टीएमसी गुंडे) मीटिंग के नाम पर हमें पार्टी कार्यालय में ले जाते और फिर हमें प्रताड़ित करने लगते। वहाँ वह ‘खूबसूरत महिलाओं’ का यौन शोषण करते थे और दूसरी महिलाओं से खाना बनवाते थे या फिर काम करवाते थे। ऐसा दिन-ब-दिन होता था। अगर महिलाएँ ऐसा करने से मना करती थीं तो उनके पतियों पर हमला होता था।”

बच्चों को बिगाड़ रहे टीएमसी गुंडे, जबरन पार्टी को वोट डलवाते हैं

इसी तरह पाँचवी महिला ने जानकारी दी कि टीएमसी गुंडे इलाके के बच्चों को भी बिगाड़ रहे हैं। महिला ने कहा, “वे 14-15 साल के बच्चों को शराब और बंदूकें देते हैं और अगर हम राजनीति में भाग नहीं लेते तो वे हमारे माता-पिता और परिवार के सदस्यों की हत्या करने की धमकी देते हैं।”

छठी महिला ने संदेशखाली में कैसे दबाव डालकर वोट लिया जाता है इसके बारे में बताया। उसने कहा- “अगर हम उन्हें वोट नहीं देना चाहते तो वो जबरदस्ती लेते हैं। वोट बैलट पेपर पर होता है। ये लोग खुद सील लेकर खुद को वोट दे देते हैं हमारी मर्जी नहीं चलने देते।”

मुँह छिपाने को महिलाएँ मजबूर, गुंडे ‘सेक्सी’ कहकर बुलाते हैं

कई महिलाओं ने टीएमसी गुंडों के डर से अपना चेहरा दिखाने से भी मना कर दिया। सातवीं पीड़िता ने मुँब छिपाकर कहा- “गाँव में सब टीएमसी समर्थक हैं। चाहे शिबू हाजरा और उत्तम सरदार जैसे लोगों ने हमारी जमीन ही क्यों न हड़प ली हो। हम लगातर डर में हैं। हम अपना चेहरा भी कैमरे में नहीं दिखा सकते।”

आठवीं पीड़िता ने कहा, “वे हमें पार्टी कार्यालय आने के लिए मजबूर करते थे और फिर कहते थे कि हमें घर जाने की अनुमति नहीं है। वे हमें ‘सेक्सी’ कहते थे और चाहते थे कि हम पार्टी बैठकों में 200-400 और महिलाओं को लाएँ। वह हमसे कहते थे कि हम उनका मनोरंजन करें वरना वो हमें नहीं छोड़ेंगे।”

ममता दीदी कभी नहीं आई संदेशखाली: पीड़िताओं ने पूछा- क्या वो झूठ बोल रही हैं

नौवीं पीड़िता ने दुखी होकर कहा, “पुलिस ने हमारी कभी मदद नहीं की। वह शीबू हाजरा जैसे लोगों के साथ खड़े थे। हमारी कोई नहीं सुनता था। वे कभी भी आते और हमें अपने साथ ले जाते। अगर हम उनके साथ नहीं जाते तो वे हमारे पतियों की पिटाई करते। अगर हम स्वेच्छा से पार्टी कार्यालय नहीं जाते, तो वे हमें हमारी इच्छा के विरुद्ध ले जाने के लिए बाइक पर किसी को भेजते। हमें उनका मनोरंजन करना होता था। कोई और रास्ता नहीं था…ममता दीदी यहाँ कभी नहीं आईं। वास्तव में, यहाँ कोई भी हमारी जाँच करने नहीं आया। ममता दीदी कह रही हैं कि संदेशखाली में कुछ नहीं हुआ? क्या हम झूठ बोल रहे हैं?”

महिलाओं ने जानकारी देते हुए कहा कि यह दरिंदगी उनके साथ साल 2011 से हो रही है। उन्होंने कहा, “अगर शिबू हाजरा और शाहजहाँ शेख खुले में हैं, तो हमारे साथ हत्या सहित कुछ भी हो सकता है। हमें लगता है कि जब हम घर पर होंगे तो दोनों हमें मार सकते हैं। हम पति और बच्चों के बिना रहते हैं। हम उन्हें रोक नहीं पाएँगे। हम शांति चाहते हैं। जब तक वे गिरफ्तार होंगे, हमें मानसिक शांति नहीं मिलेगी। अगर उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई तो हम लोग अपने घरों में नहीं रह पाएँगे। अगर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया तो इलाके में और अधिक आतंक फैल जाएगा।”

एक अन्य स्थानीय (दसवीं) महिला ने संदेशखाली में टीएमसी सरकार को आड़े हाथों लिया। उसने आधार कार्ड दिखाकर कहा कि वो संदेशखाली की मूल निवासी है। महिला ने ऐसा अपना चेहरा दिखाते हुए कहा और टीएमसी नेताओं के उन सवालों का जवाब दिया जिसमें वो कह रहे थे कि आरोप लगाने वाली महिलाएँ संदेशखाली की नहीं हैं।

संदेशखाली विवाद की पृष्ठभूमि

8 फरवरी 2024 को संदेशखाली में महिलाएँ टीएमसी के अत्याचारों से तंग आकर सड़कों पर उतरीं। उन्होंने टीएमसी नेता शेख शाहजहाँ और उसके दो साथी शीबू हाजरा और उत्तम सरदार पर कई आरोप लगाए। महिलाओं ने इनकी गिरफ्तारी की माँग भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। महिलाओं ने अपने ऊपर अत्याचारों को मीडिया में बताया। जिसके बाद पूरा देश संदेशखाली के बारे में सुन सन्न रह गया। हालात देखते हुए वहाँ 10 फरवरी धारा 144 लगाई गई। ग्रामीणों का गुस्सा शांत करने के लिए टीएमसी ने उत्तम सरदार को निलंबित कर दिया और बाद में गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा सीपीआई (एम) निर्पदा सरदार को प्रदर्शन मामले में अरेस्ट किया गया और घटना का विरोध करने वाले भाजपा नेता विकास सिंह को भी गिरफ्तार किया गया। 17 फरवरी को जाकर शीबू प्रसाद हाजरा की भी गिरफ्तारी हुई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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