सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अयोध्या मामले की 28वें दिन की सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच को मुस्लिम पक्षकार के वकील ने बताया कि माहौल बनाकर बाबरी मस्जिद गिराई गई थी। उन्होंने कहा कि यह मस्जिद बाबर ने बनाई थी। जब जस्टिस एसए बोबडे ने उनसे मस्जिद में संस्कृत में लिखे शिलालेख और अभिलेख मिलने की बात पूछी, तो धवन ने कहा कि हो सकता है कि हिंदू मजदूरों ने यह लिख दिया हो।
धवन ने कहा, “मस्जिद बनाने में हिंदू और मुस्लिम दोनों मजदूर शामिल थे। ऐसे में ऐसा हो सकता है काम खत्म होने के बाद वे संस्मरण के तौर पर संस्कृत में लिखकर जाते हों। वहॉं पारसी और अरबी में अल्लाह भी लिखा हुआ था। बाबरनामा के तमाम संस्करण में कहा गया है कि कि मस्जिद बाबर ने ही बनवाया था और ढॉंचा में कई जगहों पर अल्लाह लिखा था।”
बेंच के सामने बाबरनामा को उद्धृत करते हुए धवन ने कहा, “बाबरनामा के उद्धरण और अनुवाद से पता चलता है कि इस ढॉंचे का निर्माण बाबर ने कराया था।” उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष केवल चुनिंदा राजपत्रों पर विश्वास नहीं कर सकता है और उन अभिलेखों को नहीं छोड़ सकता है जिनमें यह बताया गया है कि बाबर ने यहॉं मस्जिद का निर्माण कराया था। उन्होंने कुछ ऐसी चीजें भी पेश की जिन पर बाबरी मस्जिद के संबंध में अरबी और फारसी भाषा में अभिलेख अंकित हैं।
धवन ने कहा कि 1985 में राम जन्मभूमि न्यास बनाया गया और 1989 में केस दाखिल किया गया। इसके बाद सोची समझी नीति के तहत कार सेवकों का आंदोलन चलाया गया। विश्व हिंदू परिषद ने माहौल बनाया जिसके कारण 1992 में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई। इसको गिराने का मकसद था वास्तविकताओं को खत्म कर मंदिर बनाना।
गौरतलब है कि छह अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की रोजाना सुनवाई चल रही है। यह पहला ऐसा मामला है जिसकी सप्ताह में पॉंच दिन सुनवाई हो रही। अमूमन जिन मामलों की रोजाना सुनवाई होती है उन्हें सप्ताह में केवल तीन दिन सुना जाता है। अब संवैधानिक बेंच ने कहा है कि सोमवार से मामले की सुनवाई एक घंटे ज्यादा यानी शाम पॉंच बजे तक होगी। बेंच में गोगोई के अलावा जस्टिस बोबडे, अशोक भूषण, डीवाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।