Thursday, November 14, 2024
Homeदेश-समाजरोज हिंदुत्व को गरियाती है 'मेकअप इतिहासकार', एक दिन हिजाब पर मुँह खोला तो...

रोज हिंदुत्व को गरियाती है ‘मेकअप इतिहासकार’, एक दिन हिजाब पर मुँह खोला तो पिल पड़े इस्लामी कट्टरपंथी: लिबरल नहीं आए बचाने, कान पकड़ बोली- बोलने से पहले 2 बार सोचूँगी

इस्लामी कट्टरपंथियों और लिबरलों से अच्छी खासी बेइज्जती पाकर रुचिका शर्मा ने समाचार वेबसाइट द प्रिंट से कहा, "मेरे साथ जो हुआ, वह बहुत कुछ बताता है। धमकियों के बाद बाद मुझे डर लग रहा है। अगली बार, मैं हिंदू धर्म के अलावा शायद किसी और मजहब पर चर्चा करने से पहले दो बार सोचूँगी।"

इतिहास के साथ रोज छेड़छाड़ करते हुए हिन्दू प्रथाओं और राजा महाराजों को बदनाम करने वाली कथित इतिहासकार रुचिका शर्मा इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गई। रोज हिन्दुओं को गालियाँ देने वाली रुचिका शर्मा ने एक बार इस्लाम और हिजाब को लेकर हाल ही में लिखा और फिर उसे हफ़्तों तक मुस्लिमों और ‘लिबरल’ समुदाय से गालियाँ और ट्रोलिंग झेलनी पड़ गई।

रुचिका शर्मा को इसके बाद पता चल गया कि हिन्दुओं के अलावा बाकी समुदाय सहिष्णु नहीं हैं और उसने अब उन पर ना बोलने की कसम खा ली है। रुचिका शर्मा का रोना सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहा। हिन्दुओं और हिन्दू इतिहास के खिलाफ लिखे गए उसके सभी लेख और वीडियो को धड़ाधड़ शेयर करने वाले ‘लिबरल’ भी इस बार उसके बचाव में नहीं आए।

उलटे कुछ उस पर ही हमलावर हो गए। इस्लामी कट्टरपंथियों और लिबरलों से अच्छी खासी बेइज्जती पाकर रुचिका शर्मा ने समाचार वेबसाइट द प्रिंट से कहा, “मेरे साथ जो हुआ, वह बहुत कुछ बताता है। धमकियों के बाद बाद मुझे डर लग रहा है। अगली बार, मैं हिंदू धर्म के अलावा शायद किसी और मजहब पर चर्चा करने से पहले दो बार सोचूँगी।”

क्या था पूरा मामला?

यह पूरा मामला 3 नवंबर, 2024 को चालू हुआ जब रुचिका शर्मा ने इस्लामी देशों में जबरदस्ती हिजाब पहनाए जाने को लेकर बात रखी। शर्मा ने ईरानी-अमेरिकी पत्रकार मसीह अलीनेजाद का एक ट्वीट कोट करते हुए उस ईरानी छात्रा की तारीफ की जिसने हिजाब के विरोध में अपने सारे कपड़े उतार दिए थे।

रुचिका शर्मा ने लिखा, “मुझे इस महिला परगर्व है। यह आपको रोज़ाना याद दिलाता है कि हिजाब उत्पीड़न का प्रतीक है। इसकी शुरुआत महिलाओं के विरोध से हुई है और अबइसे कई महिलाओं पर अत्याचार करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।”

इसके बाद रुचिका शर्मा ने अपने एक पुराने लेख का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने हिजाब की दमनकारी प्रकृति और इसकी उत्पत्ति के बारे में लिखा था। रुचिका शर्मा ने कुछ लोगों से बहस की और बताया कि कैसे हिजाब दमनकारी है और कई तर्क दिए।

हिजाब पर बोलते ही रुचिका शर्मा ने अपने लिए समस्याओं का पहाड़ खड़ा कर लिया। इसके बाद इस्लामी कट्टरपंथी और कथित तौर अपने आप को ‘प्रोग्रेसिव’ बताने वाले मुसलमान पिल पड़े। हिजाब और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर बात करने के लिए शर्मा को 10 दिनों तक तक बेरहमी से ट्रोल किया गया और धमकियाँ दी गईं।

रुचिका शर्मा को हिजाब वाले मसले में ईशनिंदा तक का आरोपित बता दिया गया। यह तब हुआ जब उसने एक कमेंट में ईश्वर को ‘आकाश में रहने वाला अदृश्य बर्गर’ बताया। यहाँ तक कि फिल्म लेख और इस्लामी कट्टरपंथी दारेब फारुकी ने उसे निशाने पर ले लिया।

कई लोगों ने ट्विटर पर रुचिका शर्मा के खिलाफ अभियान चलाया और गिरफ्तार करने तक की माँग की। रुचिका के खिलाफ भद्दी टिप्पणियाँ की गईं। इन सब के बीच वह कोई लिबरल और कथित ‘बुद्धिजीवी’ रुचिका के बचाव में नहीं आए जो हिन्दुओं पर लिखे गए उसके उल्टे-सीधे लेख को नाचते गाते हुए साझा किया करते थे।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस बार रुचिका की आलोचना करने वाले बहुसंख्यक हिन्दू नहीं थे। इस बार रुचिका इस्लामी कट्टरपन्थियों के हत्थे चढ़ गई थीं। इतिहास गवाह है ऐसे मामले कट्टरपन्थियों ने मात्र एक पोस्ट के कारण दरजी कन्हैया लाल जैसे व्यक्तियों की हत्या तक की है।

सच्चाई का पता चला तो प्रिंट से रोई रुचिका शर्मा

रुचिका शर्मा को इसके बाद उस सच्चाई का पता चल गया तो हमेशा भारत के वामपंथी और लिबरल रेत के भीतर दबाने की कोशिश करते हैं। यह सत्य है कि यदि आप हिन्दुओं के खिलाफ बोलेंगे तो सारे आपके समर्थन में खड़े होंगे, यहाँ तक कि कोर्ट कचहरी की लड़ाई भी लड़ लेंगे।

लेकिन जैसे ही आप इस्लाम के किसी आयाम की आलोचना करेंगे तो आप अपने आप को अकेला पाएँगे। अपनी सुविधानुसार लिबरल जमात उसे दूसरे धर्म का मसला बता कर निकल लेगी। इस मामले में मुस्लिम लिबरल तुंरत कट्टरपंथी बन जाएँगे और आपको लताड़ा जाएगा। इस सत्य का ज्ञान होने के बाद रुचिका शर्मा ने इस जमात की शिकायत द प्रिंट वेबसाईट में की।

उसने कहा, “हिजाब के खिलाफ बोलने के बाद से मेरा यह सबसे बड़ा अकेलापन का दौर है। जेएनयू के मेरे कई बुद्धिजीवी जो मेरे साथी थे, किसी ने भी मेरे समर्थन में कुछ नहीं कहा।” रुचिका ने बताया कि जब उसने 2023 में सती प्रथा पर वीडियो बनाया था, तब यही सब दौड़ दौड़ कर उसकी प्रशंसा कर रहे थे।

इस्लाम पर बोलने के खतरों और हिन्दुओं की सहनशीलता को देखने के बाद रुचिका शर्मा ने ठान लिया है वह अब बाकी मजहबों को लेकर नहीं बोलेगी। उसने प्रिंट से साफ़ तौर पर कहा कि हिन्दू धर्म के अलावा अब वह किसी मजहब पर बोलने के पहले दो बार सोचेगी।

कौन है रुचिका शर्मा?

वैसे तो ये बताना कठिन है लेकिन ऐसे समझिए कि रुचिका अपने आप को इतिहासकार बताती है। उसका कहना है कि वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ी हुई है और इतिहास को बोरिंग नहीं बल्कि मजेदार तरीके से बताती है। वह यूट्यूब पर इतिहास के पाठ पढ़ाने का दावा करती रहती है, इस बीच मेकअप भी करती है।

मेकअप करने के साथ किए इस मजाक को रुचिका शर्मा इतिहास पढ़ाना बताती है। वह अपने निजी विचार इतिहास के तौर पर लोगों को समझाती है। आमतौर पर देश के बाकी लिबरलों की तरह उसके निशाने पर हिन्दू धर्म, उनके रीति रिवाज और हिन्दू राजा महाराजा होते हैं। वह भी इस्लामी आक्रान्ताओं, जैसे कि औरंगजेब आदि पक्षधर है।

हिन्दुओं के खिलाफ सालों से लिख रही रुचिका शर्मा

रुचिका शर्मा के एक लेख को स्क्रॉल ने झूठे दावे पेश करने के चलते हटा दिया था। 2017 में लिखे गए इस लेख में रुचिका शर्मा ने दावा किया था कि रानी पद्मावती को राजपूत राजकुमार ने बलि चढ़ाया था, न कि इस्लामी आक्रांता अला-उद-दीन खिलजी ने। लेख को बाद में हटा दिया गया क्योंकि इसमें इतिहास के बारे में गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए थे।

रुचिका शर्मा मुगल शासकों औरंगजेब और टीपू सुल्तान की भी प्रबल समर्थक है और यहाँ तक ​​कि अपने ट्वीट और अपनी विचारधारा में उनकी बड़ाई करती है। गौरतलब यह है कि वामपंथियों और लिबरलों के मनगढ़ंत दावों को छोड़कर इस इस्लामी आक्रांताओं के कामों पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।

रुचिका शर्मा यह तक दावा करती हैं कि सोमनाथ मंदिर पहले एक बौद्ध हॉल हुआ करता था। कहीं वह दावा करती है कि चाणक्य असली नहीं थे। इसके अलावा वह सती प्रथा को लेकर भी काफी दावे करती रही है। हालाँकि तब रुचिका को कोई डर नहीं लगा लेकिन अब सच्चाई से उसका सामना हो गया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अर्पित त्रिपाठी
अर्पित त्रिपाठीhttps://hindi.opindia.com/
अवध से बाहर निकला यात्री...

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ट्विटर (X) से सूचनाएँ लेगा पर खबरें नहीं देगा ब्रिटेन का ‘द गार्डियन’, फ्रांस की मीडिया कंपनियों ने एलन मस्क के प्लेटफॉर्म पर ठोका...

एक्स ने अदालती आदेश का पालन नहीं किया, जिससे मीडिया संस्थानों ने इसे कानून की अनदेखी बताते हुए 12 नवंबर 2024 को फिर से मुकदमा दायर किया है।

‘पहले यहाँ जंगल था, अब यहाँ सिर्फ मुसलमानों के घर हैं’: झारखंड में घुसपैठ ने कैसे बदले हालात स्थानीय लोगों ने बताए, कहा- अब...

स्थानीयों ने बताया कि घुसपैठिए झारखंड के जनजातीय जिलों को निशाना बना रहे हैं। उनका मकसद जमीन हड़पना और लोगों में डर बैठाना है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -