साल 2017 के एक आतंकवादी एवं अलगाववादी गतिविधियों के मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का मुखिया मोहम्मद यासीन मलिक (Mohammad Yasin Malik) के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत ने बड़ी कार्रवाई की है। कोर्ट ने यासीन मलिक समेत 15 लोगों के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के तहत आरोप तय किए हैं।
मामले की सुनवाई कर रहे विशेष अदालत के न्यायाधीश जस्टिस परवीन सिंह ने इसे ‘सुनियोजित साजिश’ करार दिया। जस्टिस सिंह के अनुसार, इस साजिश का मास्टरमाइंड सीमा पार पाकिस्तान में बैठे आईएसआई जैसों के हाथ में था। हर साजिशकर्ता मास्टरमाइंड के निर्देश पर काम कर रहा था और इनका अंतिम लक्ष्य कश्मीर में रक्तपात, हिंसा, तबाही और विनाश मचाकर उसे अलग करना था।
कोर्ट का कहना था कि शुरुआती तौर पर एक बड़ी आपराधिक साजिश के तहत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण हिंसा की घटनाएँ हुईं। अदालत ने ये भी कहा कि भारत से कश्मीर को अलग करने के मूल लक्ष्य को हासिल करने के लिए हिंसा की साजिश को रचा गया था। इसके साथ ही अदालत ने पाया कि ये घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने में अहमद भूमिका निभाई। इसको देखते हुए कोर्ट ने यासीन मलिक सहित इसमें शामिल लोगों पर यूएपीए के तहत आरोप तय किए।
कोर्ट ने कहा, “तर्क दिया गया है कि गाँदीवादी तरीके से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जबकि, प्रथम दृष्टया सबूत कुछ और ही कहते हैं। विरोध न केवल हिंसक थे, उनका इरादा हिंसक होना था। इस प्रकार प्रथम दृष्टया इनकी योजना एडोल्फ हिटलर और नाजी पार्टी की असली सेना ब्राउनशर्ट्स के मार्च की तरह सीधी और स्पष्ट थी। इनका उद्देश्य सरकार को डराना और किसी विद्रोह की योजना से कम नहीं था।”
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए आतंकी संगठनों के साथ साजिश रची थी। इसमें हाफिज मुहम्मद सईद, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, फारूक अहमद डार, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, मसरत आलम, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर शामिल हैं।
यासीन मलिक
गौरतलब है कि वो आतंकी है, कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार में सीधे तौर पर शामिल था। वो जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष और पाकिस्तान का पिट्ठू अलगाववादी नेता है। उस पर कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप है। साथ ही उसे भारत में टेरर फंडिंग समेत दूसरे अपराधों के मामले में हिरासत में भी लिया गया था। यासीन मलिक पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का भी आरोप है।
जनवरी 1990 में वायुसेना के 4 अधिकारियों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप यासीन मलिक पर ही है। यासीन मलिक ने जेकेएलएफ आतंकियों के साथ मिलकर भारतीय वायु सेना के चार जवानों में से एक स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना की हत्या कर दी थी।
ये जानते हुए भी कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार में यासीन मलिक सीधे तौर पर शामिल था और उसके आतंकियों से संबंध हैं, पिछली सरकारों एवं मीडिया ने उसे हमेशा कश्मीरियों के तारणहार के रूप में पेश किया।