झारखंड के पूर्वी सिंहभूम स्थित एक शेल्टर होम में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था, जिसके बाद अब पुलिस ने आशंका जताई है कि इसमें रहने वाली अन्य बच्चियाँ भी इसका शिकार रही हो सकती हैं। ‘मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट (MTWT)’ द्वारा संचालित इस ट्रस्ट में आए मामले की जाँच के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए एसपी डॉक्टर एम तमिल वणन ने बताया कि पिछले 4 वर्षों से अन्य नाबालिग लड़कियाँ भी यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही थीं।
पुलिस ने अब तक जाँच में मिले तथ्यों के बाद इसका दायरा बढ़ा दिया है। मंगलवार (जून 8, 2021) को बताया कि रेस्क्यू की गई दोनों लड़कियों की शिकायत के बाद ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (POCSO)’ के तहत शेल्टर होम के निदेशक हरपाल सिंह थापर के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है। साथ ही उनकी पत्नी पुष्पा रानी तिर्की को भी आरोपित बनाया गया है।
बता दें कि पुष्पा ‘ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC)’ की अध्यक्ष भी हैं। साथ ही वार्डन गीता सिंह, उनके बेटे आदित्य सिंह और साथ ही टोनी सिंह नाम के एक कर्मचारी को भी आरोपित बनाया गया है। सारे के सारे आरोपित फरार हैं। एसपी ने बताया कि रेस्क्यू की गई लड़कियों की उम्र 16 और 17 साल है, जिन्होंने वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से अपना बयान दर्ज कराया है और साथ ही स्पेशल POCSO कोर्ट में अपने इन बयानों को दोहराया भी है।
बच्चियों ने बताया कि शेल्टर होम में उनकी शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना हुई है। साथ ही उन्हें आरोपितों की सेक्सुअल डिमांड्स पूरी करने के लिए मजबूर किया जाता था। पुलिस ने बताया कि इस प्रकरण के जो तथ्य सामने आए हैं, वो डरावने हैं। वार्डन की 19 साल की बेटी के साथ भी थापर के यौन सम्बन्ध थे और अन्य आरोपितों के साथ मिल कर वो लगातार उसका यौन शोषण करने में लगा हुआ था। नाबालिगों से काम कराए जाने के आरोप भी लगे हैं।
लड़कियों ने बताया कि पिछले 4 साल में हुई घटनाओं को लेकर उन्होंने CWC की मुखिया तिर्की से भी कई बार शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस ने बताया कि इसमें अन्य आरोपितों की भागीदारी को लेकर भी जाँच की जा रही है। शेल्टर होम में पिछले महीने में एक साढ़े 3 साल की लड़की की ब्रेन ट्यूमर के कारण मौत हुई है। इसकी भी जाँच की जा रही है। वो बच्ची एक रेप पीड़िता की बेटी थी, जो उसे अपने साथ नहीं रखना चाहती थी।
थापर, उनकी पत्नी पुष्पा या फिर ‘मदर टेरेसा वेलफेयर सोसाइटी’ ने बच्ची की मौत को लेकर पुलिस-प्रशासन को कोई सूचना नहीं दी। नियमानुसार उन्हें ऐसा करना चाहिए था। पुलिस दोनों रेस्क्यूड लड़कियों की मेडिकल रिपोर्ट्स का इंतजार कर रही है, जिससे रेप होने या न होने की पुष्टि होगी। MTWT झारखंड सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त NGO है, जिसका ‘मदर टेरेसा मिशनरीज ऑफ चैरिटी‘ से कोई सम्बन्ध नहीं है।
ये शेल्टर होम खरंगाझर स्थित शमशेर टॉवर में स्थित है। इसके दूसरे फ्लोर पर स्थित दो कमरों में 22 लड़कियों को रखा गया है। वार्डन भी उसी फ्लोर पर अपने एक बेटे और एक बेटी के साथ रहती है। ग्राउंड फ्लोर पर 22 लड़कों को रखा गया है। पहले फ्लोर पर थापर और तिर्की पति-पत्नी रहते हैं। लड़कियों की देखभाल फ़िलहाल सरायकेला-खरसावाँ CWC द्वारा किया जा रहा है। सोसाइटी और तिर्की के खिलाफ कार्रवाई के लिए DM से सिफारिश की गई है।
थापर दम्पति पर ये भी आरोप है कि वो शेल्टर होम और बच्चियों के देखरेख के लिए मिले सरकारी फंड्स को अपने बैंक खातों में ट्रांसफर किया करते थे। लोग भोजन और कपड़ों के लिए जो रुपए दान में देते थे, उन्हें भी वो हजम कर जाते थे। पुलिस ने बताया कि पाँचों आरोपितों के संभावित ठिकानों पर छापेमारी जारी है और जल्द गिरफ़्तारी होगी। शमशेर टॉवर और इसके आसपास के निवासियों में इस घटना को लेकर आक्रोश है।
Horrifying details of rape and torture emerge from Jharkhand NGO’s shelter home https://t.co/p7nEsGbGqB
— Hindustan Times (@HindustanTimes) June 9, 2021
भाजपा, आजसू और सत्ताधारी JMM के स्थानीय नेताओं ने भी इन करतूतों का विरोध किया है। 40 स्थानीय निवासियों ने प्रशासन को कार्रवाई के लिए ज्ञापन भी सौंपा है। आरोप है कि टेल्को थाना के प्रभारी ने हमेशा ऐसी शिकायतों को नज़रअंदाज़ किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि थापर-तिर्की दम्पति की करतूतों से परेशान कई लोग कहीं और रहने चले गए और पुलिस से बार-बार शिकायत के बावजूद कार्रवाई न होने से उन्हें परेशानी हो रही है।
लोगों ने बताया, “अपार्टमेंट की छठ मंजिला लिफ्ट बंद कर दी गई है। पार्किंग एरिया पर दबंगई से कब्ज़ा कर के उसे NGO कार्यालय में तब्दील कर दिया गया है। अपार्टमेंट में 4 फ्लैटों के मालिक थापर-तिर्की हैं, लेकिन उन्होंने अब तक कोई मेंटेनेंस शुल्क नहीं दिया है। MTWT ने पूरे परिसर में कूड़े-कचरे का अंबार लगा रखा है। ट्रस्ट के बच्चे झारखंड के मूलनिवासी हैं, जिन्हें भोजन तक नहीं दिया जाता। वो दूसरे फ्लैटों से छिप कर भोजन मँगा कर खाते हैं।”