Sunday, December 22, 2024
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बात न किया तो जलाया, निकाह से इनकार पर गोली मारी, साथ रहना चाहा तो टुकड़े-टुकड़े हुए: कब तक शाहरुख-तौसीफ-आफताब की शिकार बनेंगी अंकिता-निकिता-श्रद्धा

शर्मनाक यह भी है कि जब भी हिंदू लड़कियाँ मजहबी दरिंदों की शिकार होती हैं तो एक वर्ग मजहब पर पर्दा डालने में लग जाता है। श्रद्धा के मामले में भी यही हुआ है। आफताब को शुरुआत में पारसी बताने की कोशिश हो रही थी।

श्रद्धा वाकर (Shraddha Walker) की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। हालाँकि, यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी हिंदू लड़की के साथ ऐसी बर्बरता को अंजाम दिया गया है। ज्यादा दिन नहीं हुए जब झारखंड में एकतरफा प्यार में हिंदू लड़की को जिंदा जला दिया गया था।

नाम बदलकर हिंदू लड़कियों को प्यार के जाल में फँसाना, उनका शारीरिक शोषण करना, उन पर धर्मांतरण का दबाव बनाना, जबरन निकाह करना आम हो गया है। आए दिन इस तरह के मामले सुर्खियों में रहते हैं। कभी बात नहीं करने पर उनकी हत्या होती है। कभी निकाह से इनकार करने पर। लेकिन श्रद्धा के 35 टुकड़े तो तब भी कर दिए गए जब वह आफताब के साथ रहना चाहती थी।

अंकिता को जिंदा जलाया

अगस्त 2022 में झारखंड के दुमका में शाहरुख ने 12वीं की छात्रा अंकिता पर पेट्रोल डाल कर उसे जिंदा जला डाला था। अंकिता का कसूर केवल इतना था कि उसने शाहरुख का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। वह उससे बात नहीं करना चाहती थी। शाहरुख का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। वीडियो में ​देखा गया था कि जब पुलिस उसे पकड़कर ले रही थी, तो वह मुस्कुरा रहा था। उसे इस बात का कोई पछतावा नहीं था कि उसने एक लड़की को जिंदा जलाकर मार डाला। ठीक उसी तरह आफताब के चेहरे पर भी किए का कोई पछतावा नहीं है। वह जेल में चैन की नींद लेते देखा गया है।

निकिता तोमर को मारी गोली

इसी तरह हरियाणा के फरीदाबाद स्थित बल्लभगढ़ में दिनदहाड़े निकिता तोमर की तौसीफ (Tauseef) ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। निकिता तोमर (Nikita Tomar) को सड़क पर गोली मारने के CCTV फुटेज भी सामने आया था। निकिता के घरवालों ने आरोप लगाया था कि तौसीफ धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा था। वह निकिता को कहता था ‘मुस्लिम बन जा हम निकाह कर लेंगे’। जब वह नहीं मानी तो गोली मार कर हत्या कर दी।

शर्मनाक यह भी है कि जब भी हिंदू लड़कियाँ मजहबी दरिंदों की शिकार होती हैं तो एक वर्ग मजहब पर पर्दा डालने में लग जाता है। श्रद्धा के मामले में भी यही हुआ है। आफताब को शुरुआत में पारसी बताने की कोशिश हो रही थी।

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