केरल के वायनाड में कुछ दिन पहले वेटनरी कॉलेज के 20 वर्षीय छात्र जे एस सिद्धार्थ ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में वामपंथी छात्र नेताओं पर मृतक को नग्न घुमाने, मारने-पीटने, बेइज्जत करने और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगे। यूनिवर्सिटी ने 19 छात्रों को निलंबित कर दिया है। वहीं, प्रदेश के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इसके वाइस चांसलर को भी निलंबित कर दिया।
राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान ने शनिवार (2 मार्च 2024) को केरल पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (KVASU) के कुलपति डॉक्टर एमआर ससींद्रनाथ को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही राज्यपाल खान ने घटना की न्यायिक जाँच के भी आदेश दिए हैं। न्यायिक जाँच के संबंध में केरल उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से संपर्क किया जाएगा।
स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्र जे एस सिद्धार्थ को इसलिए प्रताड़ित किया गया था, क्योंकि उसने वेलेंटाइन डे (14 फरवरी 2024) को कॉलेज में सीनियर छात्राओं के साथ डांस किया था। इस मामले में गिरफ्तार किए गए 11 लोगों में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के चार नेता शामिल हैं। वहीं, कुल 19 छात्रों को भारत के किसी भी संस्थान में पढ़ाई से रोक दिया गया है।
राजभवन से जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि जिन घटनाक्रमों की परिणति सिद्धार्थ की मृत्यु के रूप में हुई, उनसे संकेत मिलता है कि विश्वविद्यालय के मामलों में वीसी द्वारा ‘वांछित ईमानदारी, गंभीरता और तत्परता’ के साथ भाग नहीं लिया जा रहा है। यह विश्वविद्यालय के अधिनियमों/क़ानूनों और अन्य प्रासंगिक नियम में अनिवार्य है।
निलंबन आदेश में आगे कहा गया है, “इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की पृष्ठभूमि में वीसी का अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति उदासीन, लापरवाह और संवेदनहीन रवैया उनकी रिपोर्ट से पता चलता है। इस अवधि के दौरान वीसी की ओर से कर्तव्य में घोर लापरवाही की गई, जिसके कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।”
राज्यपाल खान ने कहा, “केरल पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 की धारा 9 (9) को लागू करने के लिए एक उपयुक्त मामला होने के नाते, एक ऐसे व्यक्ति द्वारा जाँच का आदेश दिया जाता है, जो उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश है या रह चुका है। इस संबंध में उचित समय पर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से अनुरोध किया जाएगा।”
वीसी को निलंबित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि मौजूदा वीसी के नेतृत्व में परिसर में सौहार्द्रपूर्ण माहौल के प्रति सम्मान की कमी है और विश्वविद्यालय के मामलों के प्रति उदासीनता ‘कानून के शासन के संदर्भ में समझ से परे’ हो गई है। यह एक अशुभ संकेत है। यह राज्य में विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा क्षेत्र के मामलों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
सिद्धार्थ के आत्महत्या के मामले में शुक्रवार (1 मार्च 2024) को पुलिस ने चार लोगों को पकड़ा है। इन चारों में से मलप्पुरम का रहने वाला अमीन अली अकबर, SFI का कॉलेज यूनियन प्रेसीडेंट के अरुण और यूनिट सेक्रेटरी अमल अहसान ने पुलिस के सामने खुद आत्मसमर्पण कर दिया था। वहीं, पुलिस टीम ने यूनियन के सदस्य आसिफ खान को उसके घर से दबोचा था।
दरअसल, 18 जनवरी 2024 को वायनाड के एक कॉलेज में पशु विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्र जे एस सिद्धार्थ ने आत्महत्या कर ली थी। सिद्धार्थ को कॉलेज हॉस्टल के एक टॉयलेट में लटकता पाया गया था। इसके बाद सिद्धार्थ की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में कई खुलासे हुए। रिपोर्ट में बताया गया कि मौत से पहले सिद्धार्थ को बुरी तरीके से मारा पीटा गया था। उसका पेट खाली था और शरीर पर घाव थे।
इसके बाद पुलिस ने इस मामले में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया। इस मामले में 12 छात्रों को कॉलेज से निलंबित भी कर दिया गया। ये सभी अब भारत के किसी भी शिक्षण संस्थान में नहीं पढ़ पाएँगे। निलंबित किए जाने वालों में SFI के वामपंथी छात्र नेता भी हैं। सिद्धार्थ के पिता जयप्रकाश ने बताया है कि उनके बेटे को वामपंथी छात्रों ने काफी प्रताड़ित किया।
इस बीच मृतक छात्र सिद्धार्थ के पिता जयप्रकाश ने कहा था कि कैंपस के डीन डॉ नारायणन ने इस मामले में लीपापोती की है और उन्हें पूरे मामले की जानकारी थी। ऐसे में उन्हें भी आरोपित बनाया जाए। सिद्धार्थ के पिता ने कहा था, “मुझे यही लग रहा था कि सिद्धार्थ की मौत आत्महत्या का मामला है और मैं इसके पीछे के कारण के बारे में सोच रहा था।”
उन्होंने आगे कहा था, “एक छात्र ने मुझे बताया कि एसएफआई नेता ने उन्हें सिद्धार्थ की मौत की असलियत बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है। यहाँ तक कि परिसर में शिक्षक और प्रशासनिक प्रमुख भी इन एसएफआई गुंडों की धुन पर नाचने वाली कठपुतली मात्र हैं। ऐसे कई अन्य छात्र हैं जिन्हें इसी तरह से प्रताड़ित किया गया।”