पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी की जीत के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर हुई राजनीतिक हिंसा के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) की सरकार के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। उच्च न्यायालय ने हिंसा के दौरान हुए हत्या, बलात्कार और महिलाओं के साथ अपराधों की जाँच सीबीआई को सौंपी है और छह सप्ताह के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। वहीं, अन्य अपराधों की जाँच के लिए विशेष जाँच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई जाँच और एसआईटी जाँच की निगरानी वह स्वयं करेगा। हाईकोर्ट के इस फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है, जबकि सत्ताधारी टीएमसी ने सीबीआई के दखल को गलत बताया है।
टीएमसी के सांसद सौगात राय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है। उन्होंने कहा है, “अगर लॉ एंड ऑर्डर के हर मामले में सीबीआई आती है तो यह राज्य के अधिकारों का उल्लंघन है।” उन्होंने आगे कहा, “राज्य सरकार स्थिति पर सही फैसला करेगी और जरूरत पड़ी तो सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जाएगी।”
I’m unhappy with verdict. If in every law&order matter which is entirely within State govt’s jurisdiction the CBI comes in it is transgression on State’s right. I’m sure state govt will judge the situation&take a decision to appeal to a higher court if necessary:Saugata Roy, TMC pic.twitter.com/oHdTO9PEWF
— ANI (@ANI) August 19, 2021
वहीं, हाईकोर्ट के फैसले का केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। बकौल अनुराग ठाकुर, “सभी को अपनी विचारधारा के प्रसार का अधिकार है लेकिन किसी को भी हिंसा फैलाने की इजाजत नहीं है।”
We welcome the court’s decision. In a democracy, everyone has the right to spread their ideology but no one’s allowed to spread violence. There is no place for violence in democracy: Union Min Anurag Thakur on Calcutta HC ordering court-monitored CBI probe into post-poll violence pic.twitter.com/JkZV3xpE0w
— ANI (@ANI) August 19, 2021
इस मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायाधीश आई पी मुखर्जी, न्यायाधीश हरीश टंडन, न्यायाधीश सौमेन सेन और न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार की पीठ ने फैसला सुनाया। वहीं, उच्च न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी में भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी महानिदेशक (दूरसंचार) सुमन बाला साहू, कोलकाता पुलिस आयुक्त सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार को शामिल किया गया है।
राज्य में 2 मई को चुनाव परिणाम तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के पक्ष में आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों के खिलाफ जम कर हिंसा हुई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि अपराध के ऐसे अन्य मामलों की जाँच के लिए एक विशेष टीम करेगी, जिसकी कार्यवाही की निगरानी खुद उच्च-न्यायालय करेगा।
अगले आदेश में सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इस जाँच की निगरानी के लिए नियुक्त किया जाएगा। साथ ही अदालत ने पश्चिम बंगाल की TMC सरकार को चुनाव बाद हुए हिंसा के पीड़ितों के लिए तत्काल मुआवजे की व्यवस्था करने के भी आदेश दिए हैं। साथ ही ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)’ के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दर्ज कराई गई आपत्ति को भी अदालत ने नकार दिया।
अदालत के आदेश पर ही NHRC ने एक फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी का गठन कर के पश्चिम बंगाल भेजा था। अगले 6 सप्ताह के भीतर CBI को SIT को अदालत को अवगत कराना होगा कि उनकी जाँच कहाँ तक पहुँची और जाँच की क्या स्थिति है। डिवीजन बेंच 24 अक्टूबर को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा। साथ ही मारे गए भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की ऑटोप्सी रिपोर्ट भी सीलबंद लिफाफे में CBI को सौपे जाने का आदेश दिया गया है।