जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में विवादों का सिलसिला अभी थमा नहीं है। दरअसल, एक ख़बर सामने आई थी कि विश्वविद्यालय के सूचना केंद्र मे छात्रों के एक ग्रुप ने हमला बोल दिया, इस वजह से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया प्रभावित हो गई। JNU प्रशासन का कहना है कि शुक्रवार (3 जनवरी) को दोपहर के क़रीब 1 बजे, छात्रों का एक समूह जो अपना चेहरा ढके हुए थे वो सूचना प्रणाली के केंद्र में जबरन घुसे और उन्होंने बिजली की सप्लाई को भी बंद कर दिया। सभी तकनीकी कर्मचारियों को जबरन बाहर निकाल दिया और सर्वर को बंद कर दिया।
इस मामले पर विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि छात्रों के इस हमले से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई और छात्रों के लिए अपना रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा करना असंभव हो गया। प्रशासन ने चेतावनी देते हुए बताया कि उन सभी हुड़दंगियों के ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय प्रशासन सख़्त कार्रवाई करेगी, जिन्होंने रजिस्ट्रेशन करने वाले हज़ारों छात्रों को परेशान किया।
JNU Administration: As a result, the entire registration process was hampered & made it impossible for students to complete their registration process. University will take strict disciplinary action against the agitators who have caused enormous hardship to thousands of students https://t.co/sFwwrCiBKp
— ANI (@ANI) January 3, 2020
इससे पहले भी ऐसी कई ख़बरें आ चुकी हैं जिनमें JNU के छात्रों ने प्रोफेसर्स और वैज्ञानिकों को न सिर्फ़ बंधक बनाया बल्कि उनके साथ बदतमीज़ी करते हुए उन्हें गालियाँ भी दी। इनमें वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन जैसे नाम शामिल हैं जिन्हें उन्हीं की लैब में नहीं जाने दिया गया था। जेएनयू के छात्रों की गुंडागर्दी से आहत रंगनाथन ने कहा था कि पता नहीं इस देश में विज्ञान कैसे आगे बढ़ेगा।
इसी तरह, प्रोफेसर गोवर्धन दास को एक इंटरनेशनल ग्रांट प्रपोजल पर काम करना था, जो संभव नहीं हो सका। उन्हें एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपना काम ख़त्म करना था, लेकिन लैब में तालाबंदी कर छात्रों ने उन्हें परेशान किया। इस दौरान उनके साथ धक्का-मुक्की की गई, उनका मोबाइल छीना गया और उन्हें 40 छात्रों की भीड़ ने गालियाँ दी। इन दोनों के अलावा वैज्ञानिक शैलजा सिंह भी लैब में नहीं जा सकीं।
ग़ौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हॉस्टल शुल्क में वृद्धि 11 नवंबर 2019 को की गई थी, जिसके बाद से ही विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इस दौरान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हज़ारों छात्र पुलिस के साथ भिड़ गए। इससे मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छह घंटे से अधिक समय तक फँसे रहे।
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