अयोध्या भूमि विवाद पर कोर्ट ने आज (फरवरी 26, 2019) सुनवाई करते हुए कहा है कि कोर्ट इस मामले पर अगले मंगलवार (मार्च 5, 2019) को आदेश देने के लिए निर्णय लेगा कि क्या समय बचाने के लिए मामला अदालत की निगरानी में मध्यस्थता के लिए भेजा सकता है।
बता दें कि आज सुबह राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू हुई, जिसके बाद एक बार फिर से इस मामले को अगले मंगलवार तक के लिए टाल दिया गया।
Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says it will pass order on next Tuesday on whether the case may be sent for court-monitored mediation to save time. pic.twitter.com/8R7iHb8AeE
— ANI (@ANI) February 26, 2019
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ती एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की पाँच सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की।
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के ख़िलाफ 14 याचिकाएँ दाखिल की गई। इस मामले में हाई कोर्ट ने मामले को निपटाते हुए फैसला सुनाया था और कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बाँट दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लगातार आगे खींच रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले के कुल दस्तावेज 38000 पेज से ज्यादा हैं। और हाईकोर्ट का फैसला ही 8170 पन्नों का है। ऐसे में अनुवाद की स्वीकार्यता पर विवाद चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुवाद को लेकर हिंदू पक्ष ने कभी भी ऐतराज़ नहीं किया है जबकि मुस्लिम पक्ष को अब भी आपत्ति है। कोर्ट का कहना है कि यदि अभी सभी पक्षों को दस्तावेजों का अनुवाद स्वीकार्य है तो वह सुनवाई शुरू होने के बाद उस पर सवाल नहीं उठा सकेंगे। मुख्य न्यायाधीश का इसपर कहना है कि यदि दस्तावेजों के अनुवाद पर विवाद जारी रहा तो हम इस पर अपना समय बर्बाद नहीं करने जा रहे।
कोर्ट ने दस्तावेजों की स्थिति और मामले से जुड़े सीलबंद रिकॉर्ड पर सेक्रेटरी जनरल की ओर से दायर रिपोर्ट की प्रतियों का जिक्र करते हुए दोनों पक्षों के वकीलों से उनका अध्ययन करने को कहा।