सुप्रीम कोर्ट ने आज जम्मू-कश्मीर में संचार अवरोध के ख़िलाफ़ रॉबर्ट वाड्रा के रिश्तेदार तहसीन पूनावाला की अलग याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। CJI रंजन गोगोई ने टिप्पणी करते हुए कहा, “वह क्या करता है? वो किस पृष्ठभूमि का है? जम्मू-कश्मीर के साथ उसका क्या संबंध है? क्या आप चाहते हैं कि हम यह सब पूछें?” पूनावाला अब हस्तक्षेप याचिका दायर कर सकते हैं।
#SupremeCourt declines to entertain Tehseen Poonawalla's separate plea against communication blockades in #JammuAndKashmir.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) September 5, 2019
"What does he do? What are his antecedents? What is his link with J&K? Do you want us to ask all this?" remarks #CJI.
Poonawalla may file intervention plea.
एक सामाजिक कार्यकर्ता और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के बहनोई, पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी और अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद राज्य में तालाबंदी (लॉकडाउन) का मुद्दा उठाया था। पूनावाला का तर्क था कि अनुच्छेद-370 के निरस्त होने से संविधान के अनुच्छेद-19 (बोलने की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हनन हो रहा है।
SC ने कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक, अनुराधा भसीन की याचिका पर भी केंद्र को नोटिस जारी किया और आज किसी भी आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतिम सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
Supreme Court issued notice to Centre on Anuradha Bhasin's (Executive Editor of Kashmir Times) petition and refuses to pass any order today. The Court said, "we will hear all the petitions on September 16." https://t.co/ks3hb7dfDM pic.twitter.com/WoLf0tZgBY
— ANI (@ANI) September 5, 2019
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद, अनुराधा भसीन ने राज्य में संचार पर लगी पाबंदियों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि सूचनाओं के आदान-प्रदान पर व्यापक रोक, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाओं सहित संचार के सभी तरीकों को तुरंत बहाल करने के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने की माँग की थी।