सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 सितम्बर, 2023) को नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन को माफी माँगने के लिए कहा है। दरअसल, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के 15वें दिन, केंद्र ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन से अपने बयानों के लिए माफी माँगते हुए एक हलफनामा माँगा, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए थे। लोन उन याचिकाकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी थी।
#SupremeCourt asks National Conference leader Mohammad Akbar Lone, the lead petitioner in the Article 370 case, to file an affidavit affirming that J&K is an integral part of India and that he owed allegiance to the Constitution of India.#Article370 #JammuAndKashmir https://t.co/OSWUbnlhsV
— Live Law (@LiveLawIndia) September 4, 2023
सुप्रीम कोर्ट का आदेश केंद्र द्वारा 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पटल पर लोन द्वारा कथित तौर पर “पाकिस्तान जिंदाबाद” का नारा लगाने पर कड़ी आपत्ति जताने के बाद आया है।
कोर्ट में केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा, “लोन को एक हलफनामा दायर करना होगा जिसमें कहा गया हो कि वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं और जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग है। और अलगाववादी ताकतों और आतंकवाद का विरोध करते हैं।”
मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा, “लोन को सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर करना चाहिए जिसमें कहा गया हो कि वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं और अलगाववादी ताकतों और आतंकवाद का विरोध करते हैं।”
रिपोर्ट के अनुसार, मेहता का बयान तब आया जब कश्मीरी पंडितों के एक संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बिमल जाद ने पीठ से कहा, “इन याचिकाकर्ताओं को इस मामले का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के सामने कहा कि सदन के पटल पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ की लोन की टिप्पणी की अपनी गंभीरता है। यह मामला गैर सरकारी संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ ने अदालत के समक्ष उठाया था।
मेहता ने कहा कि अदालत को इस नजरिए से देखना चाहिए कि अनुच्छेद 370 को जारी रखने की माँग कौन कर रहा है। मेहता ने कहा कि लोन कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं बल्कि वह संसद सदस्य हैं और यह पर्याप्त नहीं है कि वह पश्चाताप व्यक्त करें। उन्हें कहना होगा कि मैं जम्मू-कश्मीर या अन्य जगहों पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद और किसी भी अलगाववादी गतिविधि का विरोध और आपत्ति करता हूँ। इसे रिकॉर्ड पर आना चाहिए।
रूट्स इन कश्मीर की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को बताया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एसके कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल थे, उन्होंने विवरण देते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया था और कहा था कि लोन ने जो कहा था उसके लिए उन्हें कोई पछतावा नहीं जताया है। .
गौरतलब है कि एक दूसरे वकील ने बताया कि सांसद लोन ने सदन के बाहर कहा था कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जो कुछ भी कहा, उस पर कायम हैं। वहीं अनुच्छेद 370 में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करने वाले अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने भी कहा कि लोन को माफी माँगनी चाहिए।