जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव और उसके बाद के हालात पर हो रही सुनवाई के दौरान एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, “ये मामला गंभीर है, मैं खुद हालात देखने श्रीनगर जाऊँगा।” दरअसल ये मामला बच्चों के शोषण से जुड़े मामले की सुनवाई का था। इसमें याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि कश्मीर में बंद के चलते वकील हाईकोर्ट नहीं पहुँच पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में वो खुद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से बात करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट को नोटिस भी दिया है।
Chief Justice of India, Ranjan Gogoi, says in Supreme Court “if requirement arises, I may visit Jammu and Kashmir” https://t.co/uiLlcRFu0X
— ANI (@ANI) September 16, 2019
#Breaking: Supreme Court directs Jammu & Kashmir High Court Chief Justice to submit a report on whether the High Court is accessible for litigants or not.
— Bar & Bench (@barandbench) September 16, 2019
“I will speak personally to HC Chief Justice. This is a very serious issue” CJI Ranjan Gogoi. #Kashmir
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को कश्मीर जाने की इजाजत दे दी है। इस दौरान वह चार जिलों का दौरा कर सकते हैं। कोर्ट ने आजाद को श्रीनगर, बारामूला, अनंतनाग और जम्मू जाने की इजाजत दी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि गुलाम नबी आजाद इस दौरान न ही कोई भाषण देंगे और न ही कोई सार्वजनिक रैली करेंगे।
Supreme Court has also issued notices to the Union of India, Jammu & Kashmir Govt after hearing a plea by MDMK chief, Vaiko, for release of former J&K CM Farooq Abdullah.
— ANI (@ANI) September 16, 2019
एमडीएमके के नेता वाइको की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर केंद्र सरकार से 30 सितंबर तक जवाब माँगा। सुनवाई के दौरान केंद्र ने बताया कि अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में रखा गया है।
जम्मू-कश्मीर पर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा अनुच्छेद 370 के निरस्त हो जाने के बाद से एक गोली भी नहीं चलाई गई। केंद्र ने बताया कि प्रदेश के 88 प्रतिशत से अधिक थाना क्षेत्रों से प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। फिलहाल, कुछ स्थानीय प्रतिबंध लगे हैं। प्रतिबंधित इलाकों में पहुँच के लिए मीडिया को ‘पास’ दिए गए हैं और पत्रकारों को फोन और इंटरनेट की सुविधा भी मुहैया कराई गई है।