सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) की सजा पर रोक लगाने से इनकार करने वाले 2 जजों समेत हाईकोर्ट के 9 जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की है। इसमें गुजरात दंगों से जुड़ी एफआईआर रद्द करने को लेकर तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर सुनवाई से हटने वाले न्यायमूर्ति समीर दवे भी शामिल हैं।
कॉलेजियम द्वारा गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति हेमंत एम प्रच्छक, न्यायमूर्ति कुमारी गीता गोपी, न्यायमूर्ति समीर दवे, न्यायमूर्ति अल्पेश वाई कोगजे के ट्रांसफर की सिफारिश की गई है। इनमें से न्यायमूर्ति हेमंत एम प्रच्छक ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गाँधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। वहीं, न्यायमूर्ति कुमारी गीता गोपी ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
इसके अलावा, न्यायमूर्ति समीर दवे ने गुजरात दंगों के मामले में फर्जी दस्तावेज गढ़ने को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की माँग वाली तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। कॉलेजियम की सिफारिश के अनुसार, न्यायमूर्ति प्रच्छक को पटना हाईकोर्ट, न्यायमूर्ति कुमारी गीता गोपी को मद्रास हाईकोर्ट, न्यायमूर्ति अल्पेश वाई कोगजे को इलाहाबाद हाईकोर्ट और न्यायमूर्ति समीर दवे को राजस्थान हाईकोर्ट भेजने के लिए कहा गया है।
ट्रांसफर सिफारिश सूची में गुजरात हाईकोर्ट के जजों के अलावा पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान को इलाहाबाद हाईकोर्ट, न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन को गुजरात हाईकोर्ट, न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, न्यायमूर्ति अरुण मोंगा को राजस्थान हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए कहा गया है। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह का ट्रांसफर मद्रास हाईकोर्ट करने की भी सिफारिश की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन जजों ने अपना तबादला रोकने या फिर अड़ोस-पड़ोस के राज्यों में करने का आग्रह सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से किया था। हालाँकि, कॉलेजियम ने उनकी अपील को खारिज क दी थी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कई जजों के तबादले की सिफारिश दोबारा सरकार को भेजी है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश संजय कौल, न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायाधीश सूर्यकांत ने 3 अगस्त 2023 को बैठक की थी और इसमें ट्रांसफर से जुड़ा फैसला लिया था। हालाँकि, इसे गुरुवार (10 अगस्त 2023) को वेबसाइट में अपलोड किया गया। इसमें कहा गया है कि यह सिफारिश न्याय के बेहतर प्रशासन के लिए की जा रही है।
मोदी सरनेम मानहानि मामला:
सूरत कोर्ट ने राहुल गाँधी को मोदी सरनेम मानहानि मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद राहुल गाँधी सूरत सेशन कोर्ट गए, लेकिन वहाँ भी उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था। राहुल की अपील से जस्टिस गोपी ने खुद को अलग कर लिया था।
इसके बाद यह मामला न्यायमूर्ति हेमंत एम प्रच्छक की बेंच के पास गया और उन्होंने सुनवाई की थी। अपने फैसले में प्रच्छक ने सेशन कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए राहुल गाँधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद राहुल गाँधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहाँ से फिलहाल उनकी सजा पर रोक लगी हुई है।