मुस्लिम समुदाय की 77 जातियों को OBC समुदाय का दर्जा और आरक्षण देने के मामले में ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी घिर गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इन 77 जातियों के OBC कोटे को खत्म करने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। अब सोमवार (5 अगस्त, 2024) को उच्चतम न्यायालय ने ममता बनर्जी सरकार को नोटिस जारी करते हुए उन 77 जातियों को OBC वर्ग में शामिल करने का आधार पूछा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ममता सरकार ने OBC समुदाय में मुस्लिम समाज की 77 जातियों को शामिल किया था। इस फैसले का काफी विरोध हुआ था और इसे कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार के इस फैसले को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। इस मामले में सोमवार (5 अगस्त) को सुनवाई हुई। सोमवार को यह सुनवाई प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में हुई।
पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से सरकारी वकील इंदिरा जयसिंह पेश हुईं। पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ प्रतिवादी के तौर पर सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने बहस की। पश्चिम बंगाल सरकार ने उच्चतम न्यायालय में यहाँ तक कह डाला कि कलकत्ता हाईकोर्ट ही प्रदेश में सरकार चलाना चाह रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस आदेश का विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि आरक्षण पाने वाली जातियाँ मुस्लिम समुदाय की हैं। इंदिरा जयसिंह ने इसे मंडल आयोग के निर्देशों पर उठाया गया सही कदम ठहराया।
वहीं प्रतिवादी अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इंदिरा जयसिंह के तर्कों का विरोध किया। दोनों पक्षों के सुनने के बाद तीनों जजों की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए सवाल किया है कि किस आधार पर उन्होंने मुस्लिम समाज की 77 जातियों को OBC वर्ग में शामिल किया है ? सुप्रीम कोर्ट ने उन दो निजी वादियों को भी नोटिस जारी किया है जिन्होंने ममता सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।
बताते चलें कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 77 मुस्लिम जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में वर्गीकृत करने को रद्द कर दिया था और 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी सभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र रद्द कर दिए थे।