शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पिछले 70 दिनों से जारी धरना-प्रदर्शन को लेकर बुधवार (फरवरी 26, 2020) को सर्वोच्च न्यायलय में एक बार फिर सुनवाई हुई। लेकिन इस बार भी कोई नतीजा नहीं निकला। हालाँकि, इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सार्वजनिक सड़क प्रदर्शन के लिए नहीं है। मगर, ये समय इस मामले पर सुनवाई के लिए ठीक नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मार्च की तारीख तय की। साथ ही दिल्ली हिंसा पर पुलिस को सही समय पर कार्रवाई नहीं करने के लिए कड़ी फटकार भी लगाई और उसे ब्रिटिश पुलिस की तरह काम करने की सलाह दे डाली।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आप पुलिस को डिमोरलाइज नही कर सकते हैं, इस समय हमारे पुलिस बल के कॉन्स्टेबल की मौत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी हम इस मामले में विचार नहीं करना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए अभी माहौल ठीक नहीं है।
Shaheen Bagh matter: Supreme Court fixes the matter for further hearing to March 23. The court was hearing pleas seeking removal of anti-Citizenship Amendment Act protesters from Delhi’s Shaheen Bagh area. pic.twitter.com/vhT6KfzH4v
— ANI (@ANI) February 26, 2020
मगर, इस बीच SG तुषार मेहता ने इसका विरोध किया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 13 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है ये बेहद गंभीर विषय है। “सार्वजनिक जगह” प्रदर्शन की जगह नहीं होती है।
Shaheen Bagh matter: Supreme Court fixes the matter for further hearing to March 23. The court was hearing pleas seeking removal of anti-Citizenship Amendment Act protesters from Delhi’s Shaheen Bagh area. pic.twitter.com/vhT6KfzH4v
— ANI (@ANI) February 26, 2020
गौरतलब है कि सुनवाई को दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर विचार करके शाहीन बाग प्रदर्शनों के संबंध में दायर की गई याचिकाओं के दायरे में विस्तार नहीं करेगा।
कोर्ट ने दिल्ली में हिंसा की घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, लेकिन उससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि वार्ताकारों ने पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे पास सिर्फ एक मामला है, शाहीन बाग में रास्ता खुलवाने को लेकर, हमने वार्ताकार भेजे थे, जिन्होंने हमें रिपोर्ट सौंपी है। कोर्ट ने कहा कि शाहीन बाग मुद्दे पर सुनवाई से पहले उदारता और स्थिति के शांत होने की जरूरत है। शीर्ष न्यायालय ने वार्ताकार नियुक्त करने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यह लीक से हटकर समाधान है।