सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अदालत ने नोटिस जारी करने के बाद दोनों को 6 हफ्ते में अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि कुणाल कामरा और रचिता को अदालत में पेश होने की जरूरत नहीं है।
बता दें कि इससे पहले न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने गुरुवार (दिसंबर 17, 2020) को संक्षिप्त सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कामरा के ट्वीट पर कहा था, “ये सभी ट्वीट अपमानजनक हैं और हमने इस मामले में अटॉर्नी जनरल से सहमति माँगी थी।”
Supreme Court asks them to file their responses in six weeks. The top court says Kunal Kamra and Rachita Taneja don’t need to appear in person before the court. https://t.co/4IaBU77J4U
— ANI (@ANI) December 18, 2020
इसके बाद अधिवक्ता ने अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल का पत्र कोर्ट की सुनवाई के बीच पढ़ा, जिसमें कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने को लेकर सहमति दी गई थी और कहा गया था
“लोग समझते हैं कि कोर्ट और न्यायाधीशों के बारे में कुछ भी कह सकते हैं। वह इसे अभिव्यक्ति की आजादी समझते हैं। लेकिन संविधान में यह अभिव्यक्ति की आजादी भी अवमानना कानून के अंतर्गत आती है। मुझे लगता है कि ये समय है कि लोग इस बात को समझें कि अनावश्यक और बेशर्मी से सुप्रीम कोर्ट पर हमला करना उन्हें न्यायालय की अवमानना कानून, 1972 के तहत दंड दिला सकता है।”
अटॉर्नी जनरल ने अपने पत्र में कामरा के ट्वीट को बेहद आपत्तिजनक बताया था। साथ ही कहा था कि ये ट्वीट न केवल खराब हैं बल्कि व्यंग्य की सीमा को लाँघ रहे हैं और कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं।
कुणाल कामरा के बाद आपत्तिजनक ट्वीट के मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कॉमिक आर्टिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ भी अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति दी थी। दरअसल, तनेजा ने कुछ ऐसे कार्टून बनाए थे जिसमें सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे थे। वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस नरसिम्हा ने इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए कहा था, “तनेजा द्वारा किए गए ट्वीट का उद्देश्य केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय को बदनाम करना और उसकी निंदा करना करना था।”