जस्टिस आर भानुमति 19 जुलाई को रिटायर होने वाली हैं। शुक्रवार को विदाई भाषण में उन्होंने जीसस क्राइस्ट में अपनी आस्था का खुलासा किया। उन्होंने कहा, “यद्यपि मैं हिंदू। लेकिन मैं जीसस की धार्मिक शिक्षा पर भरोसा करती हूॅं। उनके आशीर्वाद से ही पढ़ाई पूरी हुई और जीवन में सफल हो पाई।”
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक़ जस्टिस भानुमति ने कहा कि उन्हें अपने जीवन में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। लेकिन जिस तरह से ईसा मसीह ने उनकी मदद की उस तरह कोई इंसान भी नहीं कर पाता।
उन्होंने कहा, “मैं हिंदू हूँ फिर भी ईसा मसीह की धार्मिक शिक्षा में विश्वास करती हूँ। उनकी कृपा के चलते मेरी पढ़ाई पूरी हुई और मैं जीवन में यहाँ तक पहुँच पाई। न्यायिक सेवा के दौरान मेरे सामने दिक्कतों का पहाड़ था जिनका कोई अर्थ तक नहीं था। लेकिन जिस तरह ईसा मसीह ने मेरी मदद की ऐसा कोई और नहीं कर सका था। शायद कोई इंसान भी नहीं।”
Justice Banumathi: Though I am a Hindu, I believe in the gospel of Jesus. By the Grace of Jesus, I got educated and came up in life. I got into the Tamil Nadu higher judicial services at the age of 33 in 1988 and served the institution for over 3 decades.
— Live Law (@LiveLawIndia) July 17, 2020
जस्टिस भानुमति ने अपनी न्यायिक सेवा की शुरुआत उच्च न्यायिक सेवा, तमिलनाडु से बतौर ज़िला जज की थी। साल 2003 में वह मद्रास उच्च न्यायालय का हिस्सा बनी थीं। साल 2013 में उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश पद सँभाला। इसके ठीक एक साल बाद वह सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनीं। इसके साथ ही वह देश की सबसे बड़ी अदालत में न्यायाधीश का पद सँभालने वाली 6वीं महिला बनीं। उन्होंने कुल 6 साल तक सर्वोच्च न्यायालय में अपनी सेवाएँ दी।
उनके विदाई समारोह के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी कुछ बातें कहीं। उन्होंने इस दिन एक दुखद दिन बताया और उम्मीद जताई कि जस्टिस भानुमति जल्द ही कानून के क्षेत्र में दोबारा सक्रियता दिखाएँगी।