अवैध विज्ञापन के मामले में ‘पतंजलि आयुर्वेद’ और ‘दिव्य फार्मेसी’ की तरफ से मंगलवार (7 मई, 2024) को सुप्रीम कोर्ट में उन अख़बारों को पेश किया गया, जिनमें बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की कंपनियों की तरफ से माफ़ीनामा जारी किया गया था। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो राज्यों की लाइसेंसिंग ऑथोरिटीज और केंद्र सरकार द्वारा भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के संबंध में उठाए जा रहे क़दमों का विश्लेषण करेगी। सुप्रीम कोर्ट इस दौरान अख़बार के उन पन्नों को देख कर संतुष्ट हुआ, जिनके माध्यम से माफ़ीनामा जारी किया गया था।
इससे पहले कई बार बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत पेशी के दौरान फटकार लगाया गया था। इस दौरान ‘पतंजलि’ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने IMA (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के अध्यक्ष के बयान को लेकर अप्लीकेशन (IA) दायर कर दिया है। उन्होंने इसे हानि पहुँचाने के उद्देश्य से की गई अपमानजनक टिप्पणी करार दिया। IMA अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एलोपैथिक डॉक्टरों पर टिप्पणी पर सवाल उठाए थे।
मुकुल रोहतगी ने इसे गंभीर मामला बताया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के जज अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि अगर IMA आरोपों पर जवाब नहीं देता है तो उसे नोटिस जारी किया जाएगा। वहीं जस्टिस हिमा कोहली ने ध्यान दिलाया कि ये बयान सुनवाई से 1 दिन पहले दिया गया था, ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि अनजान/बेखबर होने के कारण ये टिप्पणी की गई। वहीं भारत सरकार की तरफ से ASG केएम नटराज ने बात रखी। उन्होंने बताया कि ‘ड्रग्स एन्ड कॉस्मेटिक्स रूल्स’ के नियम संख्या 170 को कई उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है।
उन्होंने बताया कि 2018 में नियम संख्या 170 की अधिसूचना जारी की गई थी। उन्होंने बताया कि इसके खिलाफ 8-9 याचिकाएँ दायर हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस नियम के तहत कोई कड़ी कार्रवाई न करने का निर्देश दिया था, बाद में केरल हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इसे दोहराया। उन्होंने इस दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय का वो आदेश भी पढ़ कर सुनाया, जिसमें इस कानून के नियम-170 पर पुनर्विचार के लिए केंद्र सरकार को कहा गया था।
ASG Nataraj: At least 8 or 9 writ petitions were filed. Delhi High Court ordered not to take any coercive action, that was followed in Mumbai and in Kerala High Court also … High Court asked to reconsider the rule. #Patanjalicase #SupremeCourt #Patanjali
— Bar and Bench (@barandbench) May 7, 2024
इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि भारत सरकार को इस सलाह का फायदा मिला। वहीं जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने पूछा कि केंद्र सरकार को इस पर निर्णय लेने के लिए कहा गया था, फिर भी ये नियम यहाँ पर है। उन्होंने पूछा कि बिना कोई निर्णय लिए बिना आप कड़ी कार्रवाई न करने को कैसे कह सकते हैं? वहीं जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि ये एक अच्छा कानून है, जब तक इसे हटाया नहीं जाता, ये लागू है। केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र भेज इसके तहत एक्शन न लेने को कहा था। ASG ने इस कानून पर पुनर्विचार के लिए समय माँगा।