भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शनिवार (13 नवंबर, 2021) को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मामले में सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश नूतलपाटि वेंकटरमण रमना ने केंद्र सरकार से कहा कि वायु प्रदूषण एक गंभीर परिस्थिति है। उन्होंने कहा कि हमलोगों को घर में भी मास्क पहन कर रहना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ये भी पूछा कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं। सुनवाई के दौरान किसनों द्वारा पराली जलाने का मुद्दा भी उठा।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि पराली को ख़त्म करने के लिए आपके पास 2 लाख मशीनें मौजूद हैं और बाजार में भी ऐसी दो-तीन किस्म की मशीनें मिल रही हैं, लेकिन किसान उन्हें खरीदने की आर्थिक ताकत नहीं रखते हैं। उन्होंने पूछा कि केंद्र और राज्य की सरकारें क्यों नहीं किसानों को ये मशीनें मुफ्त में देती हैं या फिर उनसे पराली लेती हैं? जस्टिस सूर्यकान्त ने कहा कि ठण्ड के मौसम में राजस्थान में बकरियों को खिलाने के लिए पराली का इस्तेमाल किया जा सकता है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वो भी एक किसान हैं और CJI भी एक किसान परिवार से हैं, ऐसे में हम जानना चाहते हैं कि इन मशीनों को कितने दाम में किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सहकारिता संगठनों के जरिए किसानों को मुफ्त में ये मशीनें उपलब्ध कराई जाती हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि ऐसी कितनी संस्थाएँ हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सलाह दी कि वो पराली किसानों से लेकर इंडस्ट्री को सप्लाई करे।
Justice Surya Kant: you are saying lakhs of machines are available but the farmers cannot afford these machines. After the landholding law the incentive for the farmers have increased. In winters the stubble can be used for fodder for goats etc in Rajasthan
— Bar & Bench (@barandbench) November 13, 2021
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि चाहे दिल्ली सरकार हो या कोई और, किसानों की आलोचना करने का एक फैशन बन बन गया है। उन्होंने कहा कि पटाखों पर भी प्रतिबंध था, लेकिन दिल्ली में क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या 2 दिन लॉकडाउन लगाने से प्रदूषण 200 AQI कम हो जाएगा? सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि स्कूल खुल गए हैं और बच्चे सड़क पर प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। उसने डॉक्टर गुलेरिया के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि हम बच्चों को प्रदूषण, महामारी और डेंगू के बीच छोड़ रहे हैं।
CJI रमना ने कहा कि कुछ ऐसा किया जाना चाहिए, जिससे 2-3 दिन में हमलोग राहत महसूस कर सकें। उन्होंने इसे सरकार और राजनीति से अलग हट कर देखने की सलाह देते हुए पूछा कि केंद्र सरकार हरियाणा और पंजाब से क्यों नहीं कहती कि पराली जलाने को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को ‘इमरजेंसी प्लान्स’ पर सोचने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि क्यों न गाड़ियों को कुछ दिनों के लिए रोक दिया जाए। साथ ही दिल्ली सरकार को भी फटकार लगाई कि उनके स्मॉग टॉवर्स का क्या हुआ।