सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (5 अप्रैल, 2023) को 14 राजनीतिक पार्टियों द्वारा दर्ज की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ED और CBI जैसी जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि मोदी सरकार विरोध के स्वर को दबाने के लिए ED-CBI का इस्तेमाल हथियार की तरह कर रही है, विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वो तथ्यात्मक परिप्रेक्ष्य के बिना कोई सामान्य निर्देश जारी नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि अगर किसी का कोई व्यक्तिगत मामला हो, तभी वो याचिका को सुन सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी सलाह दी कि राजनेता खुद को आम जनता से ऊपर नहीं रख सकते, इसीलिए उनके मामलों में कोई विशेष दिशानिर्देश जारी नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं ने कॉन्ग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को अपना काउंसल वकील बना रखा था। जब उन्होंने देखा कि सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई को तैयार नहीं है, इसीलिए उन्होंने याचिका वापस ले ली। उन्होंने कुछ आँकड़े दिखा कर दावा किया कि जाँच एजेंसियों का इस्तेमाल सिलेक्टेड और टार्गेटेड मामलों में किया जा रहा है। उन्होंने गिरफ़्तारी, रिमांड और जमानत के लिए ऐसे मामलों में अलग से दिशानिर्देश जारी किए जाने की माँग की थी।
14 political parties went to the court which primarily included Congress party, RJD, TMC, AAP, BRS among others.
— BJP (@BJP4India) April 5, 2023
The Supreme Court observed that there is no separate law for politicians. Law is equal for all and therefore, the Court rejected their petition.
– Shri @gauravbh pic.twitter.com/6muxsNvEFC
इन पार्टियों की माँग की कि गिरफ्तारी से पहले ये देखा जाए कि आरोपित के फ्लाइट से भागने की आशंका है या नहीं, सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है या नहीं और ऐसे मामलों में अदालतों ने पहले गिरफ़्तारी को सही ठहराया है या नहीं। जाँच के लिए हाउस अरेस्ट की सलाह भी दी गई थी। दावा किया गया कि लोकतंत्र में ये विषम है, केवल विपक्ष पीड़ित है। हालाँकि, CJI ने कहा कि राजनेताओं को आम आदमी से ऊपर नहीं रखा जा सकता।