उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह ढाँचे के बीच भूमि विवाद के मुकदमों का इलाहाबाद हाईकोर्ट में हस्तांतरण के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सोमवार (15 अप्रैल 2024) को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका दिया है। इसके साथ ही शीर्ष न्यायालय ने शाही ईदगाह मस्जिद की कमिटी की इस याचिका पर नोटिस जारी कर संबंधित पक्षों से जवाब माँगा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने सोमवार (15 अप्रैल 2024) को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मुस्लिम पक्ष की दोनों माँगों को खारिज कर दिया। इस फैसले को जहाँ हिंदू पक्ष के लिए राहत की बात मानी जा रही है, वहीं मुस्लिम पक्ष के लिए यह बड़ा झटका भी कहा जा रहा है।
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह ढाँचे से संबंधित मथुरा की जिला अदालत में चल रहे 15 मुकदमों को अपने यहाँ हस्तांतरित करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट का कहना था कि ये सभी मुकदमे एक ही तरह के हैं, जिनमें एक ही तरह के सबूतों के आधार पर फैसला होना है। इसलिए कोर्ट का समय बचाने के लिए इन सभी मुकदमों की एक साथ सुनवाई हो।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का 11 जनवरी 2024 को ‘न्याय के हित में’ दिया गया यह आदेश एक हिंदू वादी द्वारा दायर याचिका पर आया था। हिंदू वादी ने एक याचिका दायर कर माँग की थी मथुरा के जिला न्यायालय में चल श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह से जुड़े 15 मुकदमों को एक साथ किया जाए और उसकी सुनवाई हाई कोर्ट में हो।
हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दिए गए अपने आवेदन में कहा था कि मथुरा जिला अदालत के दीवानी न्यायाधीश (वरिष्ठ संभाग) के समक्ष 25 सितंबर 2020 को दायर मूल मुकदमे और 13.37 एकड़ जमीन से संबंधित अन्य मुकदमों को समाहित कर दिया जाए। हिंदू पक्ष की बात को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने ऐसा करने का निर्णय दिया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह निर्णय मुस्लिम पक्ष को पसंद नहीं आया। मथुरा के विवादित शाही ईदगाह ढाँचे से जुड़ी मुस्लिम कमिटी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया। मुस्लिम पक्ष ने ना सिर्फ हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की माँग सुप्रीम कोर्ट से की, बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर भी रोक लगाने की माँग की।
वही, इसी पीठ के समक्ष इसी मुद्दे से संबंधित मस्जिद समिति द्वारा दायर एक और एसएलपी भी सूचीबद्ध थी। इसमें दिसंबर 2023 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें शाही ईदगाह ढाँचे का निरीक्षण करने के लिए एक कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की अनुमति दी गई थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम रोक को अगस्त तक जारी रखने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी। आज सोमवार (15 अप्रैल 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में मामलों को दोबारा सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम आदेश लागू रहेगा। शीर्ष न्यायालय ने साफ कहा कि उसने हाई कोर्ट में लंबित मुकदमों की सुनवाई पर रोक नहीं लगाई है।