सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (3 अक्टूबर, 2023) को पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की तीन याचिकाएँ खारिज कर दी हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने ड्रग्स जब्ती के मामले को लेकर तीन याचिकाएँ दायर की थीं जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए हर याचिका पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने माना कि याचिकाकर्ता संजीव भट्ट द्वारा बार-बार सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जा रहा था। जिससे नाराज होकर पीठ ने याचिकाकर्ता को तीन लाख रुपए गुजरात अधिवक्ता संघ में जमा करने का आदेश दिया।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, बार-बार कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए पीठ ने कहा कि आप कितनी बार सुप्रीम कोर्ट गए हैं, कम से कम एक दर्जन बार, जिस पर संजीव भट्ट को बार-बार कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए फटकार लगाया।
संजीव भट्ट ने दायर की थी तीन याचिकाएँ
बता दें कि संजीव भट्ट द्वारा दायर तीन याचिकाओं में से एक में माँग की गई थी कि ड्रग्स जब्ती मामले की सुनवाई किसी अन्य निचली अदालत में स्थानांतरित किया जाए। संजीव भट्ट ने ट्रायल कोर्ट के जज पर मामले में पक्षपात करने का आरोप लगाया था। वहीं अन्य याचिका में भट्ट ने उनके द्वारा दायर आवेदनों को ट्रायल कोर्ट द्वारा खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने निचली अदालत की कार्यवाही की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए निर्देश देने की भी माँग की थी। तीसरे मामले में अतिरिक्त सबूत जोड़ने की माँग की थी।
इस मामले में हुई थी गिरफ्तारी
गौरतलब है कि साल 1996 में राजस्थान के पालनपुर में एक वकील के होटल के कमरे से ड्रग्स जब्त हुई थी। इस मामले में बासनकांठा पुलिस द्वारा वकील को गिरफ्तार किया गया था। उस समय संजीव भट्ट बासनकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक थे। हालाँकि, इस मामले में बाद में यह खुलासा हुआ कि वकील के कमरे में ड्रग्स रखकर उसे फँसाया गया था। इस मामले में संजीव भट्ट की टीम ने वकील के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया था। दरअसल, संपत्ति विवाद में वकील को परेशान करने के लिए ऐसा किया गया था।
बता दें कि पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को वकील के कमरे में ड्रग्स रखने और उसे गिरफ्तार करने के मामले में 2018 में गुजरात सीआईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया था।