सुप्रीम कोर्ट (SC) ने मंगलवार (7 फरवरी, 2023) को मद्रास उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश (Additional Judge) के रूप में अधिवक्ता एलसी विक्टोरिया गौरी (LC Victoria Gowri) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। जब गौरी अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ले रहीं थीं, लगभग उसी वक्त उनके खिलाफ याचिकाएँ ख़ारिज की गईं। मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और बीआर गवई की पीठ कर रही थी।
मद्रास उच्च न्यायालय के पुस्तकालय कक्ष के अंदर चार अन्य लोगों के साथ विक्टोरिया गौरी को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में चुना गया है। सुप्रीम कोर्ट कहा कि उन्हें एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में चुना गया है और ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें उन्हें (अतिरिक्त न्यायाधीशों को) स्थायी रूप से नियुक्त नहीं किया गया है।
कोर्ट ने आगे कहा, “हम रिट याचिकाओं पर विचार नहीं करेंगे। कारण बाद में पता चलेगा।” इसके साथ ही पीठ ने कहा कि कॉलेजियम ने गौरी के खिलाफ सारे तथ्यों को देखा होगा। शीर्ष न्यायालय कॉलेजियम के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
जस्टिस खन्ना ने कहा, “मामला गौरी की योग्यता/पात्रता से नहीं बल्कि उनकी उपयुक्तता से संबंधित है। उपयुक्तता से संबंधित जाँच व्यक्ति के स्तर पर आकलन करना होगा। इसलिए न्यायालय इसमें आगे नहीं जा सकता। इससे पूरी प्रक्रिया में ही समस्या पैदा हो जाएगी। दूसरी बात, हम कॉलेजियम को निर्देशित नहीं कर सकते।”
वहीं शपथ ग्रहण के दौरान अपने संबोधन में गौरी ने कहा, “मैं माता अमृतानंदमयी और भारत माता को धन्यवाद देती हूँ। मैं अपने पति और अपनी दो बेटियों को धन्यवाद देती हूँ, जो जीवन में मेरे सभी प्रयोगों में मेरे साथ खड़े रहे। मैं यहाँ सभी वरिष्ठ जजों के चरणों में नमन करती हूँ और आपका आशीर्वाद चाहती हूँ।” इससे पहले, वकीलों ने अतीत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ गौरी के कथित बयानों का हवाला दिया था और दावा किया था कि उनके न्यायाधीश बनने से ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता बाधित होगी। गौरी के बारे में कहा गया था कि वो भारतीय जनता पार्टी से भी जुड़ी रही थीं।
गौरी के साथ चार अन्य वकीलों को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है। ये पदोन्नति एक कॉलेजियम द्वारा सिफारिश से की गई थी। इसमें प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ शामिल थे। ये सिफारिशें 17 जनवरी को की गई थीं। बाद में मद्रास हाई कोर्ट बार काउंसिल ने कॉलेजियम की सिफारिश पर आपत्ति जताई थी और एससी कॉलेजियम के साथ-साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी पत्र लिखा था।