Sunday, December 22, 2024
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अनुच्छेद 370 पर पूरी हुई सुनवाई: 16 दिन तक दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, कपिल सिब्बल से लेकर राजीव धवन ने दी दलीलें

अनुच्छेद 370 को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा कब बहाल किया जाएगा?

अनुच्छेद 370 (Article 370) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी हो गई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 16 दिन की सुनवाई के बाद मंगलवार (5 सितंबर, 2023) को फैसला सुरक्षित रख लिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुनवाई पूरी करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता और केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील यदि किसी भी प्रकार की दलील देना चाहते हैं उन्हें 3 दिन का समय दिया जाता है। उन्हें दलील लिखित रूप में जमा करनी होगी। यह 2 पन्ने से अधिक नहीं चाहिए। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को संसद में विशेष प्रस्ताव पारित कर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को खत्म कर दिया था। साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बाँटने का भी फैसला लिया गया था।

इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 20 से अधिक याचिकाएँ दायर की गई थीं। इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की संवैधानिक पीठ बनाई गई थी। इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा, न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल थे।

जम्मू-कश्मीर में 370 को फिर से बहाल करने के पक्ष में वकील कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमणियम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें दीं। वहीं अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वकील हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरी ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को सही बताया।

सुप्रीम कोर्ट ने उठाया था जम्मू-कश्मीर में ‘लोकतंत्र की बहाली’ का मुद्दा

अनुच्छेद 370 को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा कब बहाल किया जाएगा? इसके लिए समय सीमा और रोड मैप क्या है और वहाँ चुनाव कब कराए जाएँगे? इस पर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा था कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है लेकिन इसे पूर्ण राज्य बनाया जाएगा। इसके लिए काम भी किया जा रहा है।

कोर्ट ने यह भी पूछा था कि कब तक राज्य बनाया जाएगा और वहाँ चुनाव कब तक कराने जा रहे हैं? इसके लिए कोई रोड मैप है? जम्मू-कश्मीर स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश नहीं कर सकता। लोकतंत्र की बहाली जरूरी है। इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। वहीं, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा। राज्य की पुलिस और कानून व्यवस्था के अलावा बाकी सभी शक्तियाँ जम्मू-कश्मीर के पास ही हैं।

35A ने छीन लिए लोगों के मौलिक अधिकार

28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 35A को साल 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ा गया था। लेकिन इस अनुच्छेद ने देश के लोगों को 3 मौलिक अधिकार छीन लिए। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अनुच्छेद 35A ने अनुच्छेद 16(1) के तहत सार्वजनिक नौकरियों में देश के अन्य राज्यों के लोगों से अवसर की समानता के अधिकार से वंचित कर दिया। अनुच्छेद 19(1)(F) लोगों को संपत्ति खरीदने का अधिकार देता है। लेकिन 35A के तहत यह भी नहीं हो सका।

इसके अलावा अनुच्छेद 19(1)(ई) लोगों को देश के किसी भी हिस्से में बसने का अधिकार देता है। लेकिन 35A ने यह अधिकार भी छीन लिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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