जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के मोदी सरकार के फैसले के 4 साल बाद सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रही है। मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ इस संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता करेंगे। अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ 20 याचिकाएँ दर्ज की गई हैं। जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी इस पीठ का हिस्सा होंगे।
11 जुलाई को सुनवाई के लिए इस मामले को लिस्ट किया गया है। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ये निर्णय लेगी कि जम्मू कश्मीर के IAS अधिकारी शाह फैसल द्वारा डाली गई याचिका को वापस लिया जा सकता है या नहीं। अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया था और उसके एक हिस्से लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। इस साल फरवरी में ही इस मामले को लिस्ट किए जाने को लेकर CJI चंद्रचूड़ ने हामी भरी थी।
ये मामला पिछले 2 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेंडिंग पड़ा हुआ है। 5 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अनुच्छेद-370 को निरस्त किया गया था। इस याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार का फैसला असंवैधानिक था और इससे संघीय ढाँचे में भी छेड़छाड़ की गई। दिसंबर 2018 में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले को भी चुनौती दी गई है। आरोप लगाया गया है कि राज्य की जनता से सलाह-मशविरा किए बिना ही ये फैसला लिया गया।
Petitions on Article 370 to be listed by Supreme Court for the first time since March 2020
— Bar & Bench (@barandbench) July 3, 2023
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केंद्र सरकार कह चुकी है कि ये फैसला संविधान के हिसाब से ही लिया गया। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने दिसंबर 2019 में ही शुरू कर दी थी। अप्रैल 2022 में जब NV रमना सीजेआई हुआ करते थे, तब उनके सामने इस मामले को लिस्ट किए जाने की माँग की गई थी। लेकिन, उन्होंने कुछ सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी थी। रमना और सुभाष रेड्डी रिटायर हो चुके हैं, जो इस मामले पर सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल थे।