दो खबरें हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of india) से। दोनों चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ से जुड़े हैं। एक मामला टू चाइल्ड पॉलिसी को लेकर है। दूसरा मामला समान नागरिक संहिता यानी UCC से संबंधित है।
रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण की नीति बनाने को लेकर राज्यों को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया है। इस संबंध में याचिका अश्विनी उपाध्याय ने दायर कर रखी है। याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) समवर्ती सूची में आता है। आबादी के बढ़ते बोझ को देखते हुए राज्यों को टू चाइल्ड पॉलिसी (Two Child Policy) के लिए नोटिस जारी करने की अपील शीर्ष अदालत से याचिकाकर्ता ने की है।
पीठ ने उपाध्याय की दलीलों से असंतुष्टि जताते हुए ऐसा करने से इनकार किया। रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय से जुड़ा मामला है। लिहाजा वे याचिका खारिज कर रहे हैं। हालाँकि उपाध्याय ने मामले को फिर से सूचीबद्ध करने की अपील की ताकि वे अपनी अपील पर और प्रकाश डाल सकें। इससे सहमति जताते हुए पीठ ने मामले की सुनवाई 11 अक्टूबर को तय की है। गौरतलब है कि 2018 में भी इसी तरह की एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने नीतिगत निर्णय से जुड़ा बताते हुए खारिज कर दिया था।
इसी पीठ ने शुक्रवार (30 सितंबर 2022) को यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़े अनूप बर्णवाल की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। वैसे पीठ ने अपनी मौखिक टिप्पणी में लॉ कमीशन की रिपोर्ट को कमजोर माना। केंद्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कमीशन ने भारतीय समाज की विविधता को कायम रखने की पैरवी की है।
बता दें कि समान नागिक संहिता लागू होने पर देश में हर नागरिक के लिए एक समान कानून हो जाएगा। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो, हर किसी के लिए एक ही कानून होगा। कोई भी पर्सनल लॉ इससे ऊपर नहीं होगा। मसलन जो कानून किसी हिंदू महिला की सुरक्षा के मद्देनजर बनाया जाएगा, वही कानून मुस्लिम, ईसाई और पारसी महिला को भी सुरक्षा प्रदान करेगा। इसी तरह शादी, तलाक, संपत्ति सबसे जुड़े मामलों में पूरे देश में एक ही कानून लागू होगा। इस्लामी संगठन और मौलवी ऐसे किसी भी कानून के विरोध में हैं।