Sunday, November 17, 2024
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कोयंबटूर सीरियल ब्लास्ट लाल कृष्ण आडवाणी को निशाना बनाकर किए 19 धमाकों में 58 की हुई थी मौत, मास्टरमाइंड आतंकी SA बाशा को डीएमके सरकार ने छोड़ा; अल-उम्मा का संस्थापक की रिहाई पर SC ने लगाई थी रोक

तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने कोयंबटूर सीरियल ब्लास्ट 1998 के मुख्य आरोपित एसए बाशा समेत तीन आरोपितों को जेल से रिहा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी रिहाई पर रोक लगाई थी।

तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने कोयंबटूर सीरियल ब्लास्ट 1998 के मुख्य आरोपित एसए बाशा समेत तीन आरोपितों को जेल से रिहा कर दिया है। इन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी रिहाई पर रोक लगाई थी। कोयंबरटूर में उस समय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी को निशाना बनाकर किए गए 19 सीरियल ब्लास्ट्स में 58 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

हैरानी की बात ये है कि खुद को धर्मविरोधी बताने वाली डीएमके की सरकार ने उस एसए बाशा को रिहा किया है, जो तमिलनाडु में मुस्लिम कट्टरपंथ और आतंकवाद का चेहरा रहा था। इसी केस में बाशा का भाई नवाब खान भी उम्रकैद की सजा पाया और उसका बेटा मोहम्मद तलहा 23 अक्टूबर 2023 को हुए सिलेंडर ब्लास्ट में गिरफ्तार हुआ है, लेकिन डीएमके सरकार इन आतंकी गतिविधियों के प्रति आँख मूँदकर राष्ट्र विरोधी कार्य कर रही है।

सीएनएन-न्यूज18 के पत्रकार राहुल शिवशंकर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके अपराधों को ‘जघन्य’ करार दिए जाने और उन्हें जमानत देने से इनकार करने के बावजूद सरकार ने मास्टरमाइंड एसए बाशा और दो अन्य को रिहा कर दिया।

तमिलनाडु सरकार के इस फैसले पर राज्य बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नादुराई ने डीएमके सरकार और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने एक वीडियो जारी किया और कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि डीएमके सरकार कोयंबटूर धमाके के सभी 16 दोषियों को रिहा करने की पूरी कोशिश कर रही है। वो इस काम को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है, सिर्फ लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए। हम सभी जानते हैं कि 14 फरवरी 1998 का दिन तमिलनाडु और कोयंबटूर के लोग कभी भूल नहीं पाएँगे, क्योंकि तमिलनाडु में कभी उस तरह का सीरियल ब्लास्ट नहीं हुआ। उन धमाकों में 58 लोग मारे गए, तो 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इन धमाके के अलावा 24 जगहों पर बम भी पाए गए थे।”

अन्नामलाई ने अपने वीडियो में आगे कहा, “साल 2009 में 7 नवंबर को 9 दोषियों को रिहा कर दिया गया था।” अन्नामलाई ने तमिलनाडु के सभी राजनीतिक दलों पर 1998 के कोयंबटूर विस्फोट मामले में सभी दोषियों की रिहाई सुनिश्चित करने में डीएमके की मदद करने का आरोप लगाया।

बीजेपी नेता अन्नामलाई ने आगे कहा, “अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 16 दोषियों की जमानत याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया था कि आतंकवाद बहुत गंभीर अपराध है। डीएमके सरकार ने जस्टिस आदिनाथ आयोग की आड़ लेकर इन्हें रिहा कराने की कोशिश की है। इस रिपोर्ट में आतंकियों की रिहाई की सलाह दी गई थी।”

उन्होंने आगे कहा, “ये हैरानी की बात है कि साल 2022 में दीपावली से ठीक पहले एक आत्मघाती हमलावर ने कोयंबटूर शहर को निशाना बनाया। किस्मत से उस धमाके में सिर्फ आत्मघाती हमलावर ही मारा गया, आम लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा। इस मामले में एनआईए जाँच कर रही है। ये मॉड्यूल आईएसआईएस से प्रेरित है, जिसमें कई आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया। अब डीएमके सरकार उन सभी को रिहा करना चाहती है, मुझे समझ नहीं आता कि डीएमके की मानसिकता क्या है।”

अन्नामलाई ने आशा जताई कि डीएमके सरकार साल 2009 में जो कर चुकी है, वो आगे से ऐसा न करे। उन्होंने कहा, “भारत में धार्मिक तुष्टिकरण वाला सबसे पहला नाम कोई होगा, तो ये डीएमके है।” उन्होंने कहा, “हम अन्य कैदियों की रिहाई के खिलाफ नहीं है, लेकिन आतंकवाद से जुड़े अपराध सबसे गंभीर हैं। इन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए।”

सन न्यूज ने 7 फरवरी 2024 को एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें कोयंबटूर धमाके में शामिल तीन आतंकवादी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और डीएमके सरकार की तारीफ कर रहे थे। इन तीनों ही आतंकियों के चेहरे पर अपने कारनामों को लेकर कोई पछतावा नहीं दिखा, जिसके बाद ये वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

लाल कृष्ण आडवाणी और हिंदुओं को मारना था लक्ष्य

कोयंबटूर सीरियल ब्लास्ट 1998 का मुख्य आरोपित एसए बाशा था, जो अल-उम्मा नाम के कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन का अध्यक्ष था। ये धमाके साल 1997 में कोयंबटूर में हुए हिंदू-मुस्लिम दंगों के विरोध में किए गए थे, जिसमें लाल कृष्ण आडवाणी की फ्लाइट लेट हो गई थी, जिसकी वजह से वो बाल-बाल बच गए थे। एक बम ब्लास्ट तो उनके लिए बनाए गए मंच की जगह से सिर्फ 800 मीटर की दूरी पर हुआ था, तो 70 किलो विस्फोटक वाली कार में रखे बम को डिफ्यूज कर दिया गया था।

ये ब्लास्ट 14 से 17 फरवरी 1998 को किए गए थे। उसी दिन शाम को 4 बजे लाल कृष्ण आडवाणी की रैली होनी थी। लाल कृष्ण आडवाणी की हत्या के लिए कई आतंकियों ने अपने शरीर पर विस्फोटक बाँधे थे, लेकिन उन्होंने पुलिस ने पहले धमाके के बाद पकड़ लिया था।

बाशा और अल-उम्मान ने इस आतंकी साजिश को ‘ऑपरेशन अल्लाहु अकबर’ नाम दिया गया था। बाशा की योजना कुछ ही घंटों में तीन दर्जन जगहों पर धमाके की थी, लेकिन इसमें से कई जगहों पर धमाके हो नहीं पाए। इस बड़े सीरियल ब्लास्ट में सभी धमाके 12 किलोमीटर की रेडियस में 11 जगहों पर किए गए थे, जिसमें हिंदुओं को निशाना बनाया गया। ये सभी धमाके हिंदुओं की प्रॉपर्टी या फिर भीड़भाड़ वाले इलाकों में किए गए थे। इन धमाकों की वजह से लोकसभा चुनाव को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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