तनिष्क (Tanishq) के विज्ञापन को लेकर उपजे विवाद की चहुँओर चर्चा है। हर जगह इसे लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कहीं तनिष्क के प्रचार का समर्थन है तो कहीं पर आलोचना।
ऐसे में तनिष्क पर मालिकाना अधिकार रखने वाली टाइटन पर खासा फर्क देखने को मिला है। खबर है कि जबसे हिंदुओं ने तनिष्क का बहिष्कार शुरू किया है तभी से टाइटन का स्टॉक 2.58% गिर गया है। इसके साथ ही टाइटन की चीफ डिजाइन ऑफिसर भी चर्चा में आ गई हैं।
जी हाँ, क्या आपको मालूम है कि टाइटन कंपनी की चीफ डिजाइन ऑफिसर रेवती कांत हैं। वही रेवती कांत, जिन्होंने दुबई में अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए वहाँ जाकर बुर्का पहना, शेख से मीटिंग की और बात जब भारत की आई तो यहाँ पर आकर एकत्वं के नाम पर ऐसा सेकुलर विज्ञापन जारी करवा दिया, जो लव जिहाद को प्रमोट करता हो।
विज्ञापन में भी यह ध्यान नहीं रखा गया कि यहाँ की बहुसंख्यक आबादी की भावनाएँ क्या है? उनकी संस्कृति क्या है? उनके त्योहारों के क्या मूल्य हैं? बस वामपंथियों के गढ़े नैरेटिव पर खरा उतरने के लिए पूरा एड तैयार किया गया और बाद में जब आलोचना शुरू हुई तो स्पष्टीकरण जारी (माफी नहीं माँगी) कर मामले को रफा दफा करने का प्रयास भी हुआ।
हालाँकि, अब समय पुराना नहीं रहा है और न ही उपभोक्ता पहले की तरह जानकारी से अनभिज्ञ है। उन्हें अपनी संस्कृति और सेकुलरिज्म के नाम पर तैयार किए जा रहे अजेंडे का अच्छे से ज्ञान है। शायद इसीलिए वह व्यापक स्तर पर सवाल पूछ रहे हैं कि जब दुबई में वहाँ की जनता व संस्कृति का सम्मान किया जा सकता है, ग्राहकों की भावनाओं को समझा जा सकता है तो भारत में क्यों नहीं?
Tanishq chief designer (and founder) is Revathi Kant – for many years she was the head of Titan marketing for the Middle east & Africa. The same ad would have done very well in Middle East/Africa, I don’t think it was intended to be shown in India. https://t.co/yn7bOUA9XV
— avataram (@avataram) October 13, 2020
कई वर्षों तक मध्य-पूर्व एवं अफ्रीका में टाइटन की मार्केंटिंग हेड के सामने बेशक शुरुआत में बतौर महिला कई चुनौतियाँ रही होंगी। उन्होंने कंपनी के व्यापार के लिए जो किया, उस पर भी किसी को कोई आपत्ति नहीं थी। मगर, भारत की हकीकत जानने के बावजूद एकत्वं के नाम पर ऐसा एड अगर लव जिहाद को प्रेरित नहीं करता तो किस ओर इशारा करता है?
तनिष्क की ओर से ठीक एक हफ्ते पहले घोषणा की जाती है कि उनकी चीफ डिजाइन ऑफिसर रेवती कांत त्योहारों के मौके पर उनका उत्पाद #EkatvamByTanishq लॉन्च करने जा रही हैं। अगर कोई सवाल हों तो उनसे पूछ लिया जाए, इसका वह खुशी-खुशी जवाब देंगी।
Titan’s Chief Design Officer, Revathi Kant, is all set to launch our festive range, #EkatvamByTanishq! If you’ve got any questions for her, we are happy to answer them; all you have to do is leave a reply to this tweet. #TanishqWaliDiwali
— Tanishq (@TanishqJewelry) October 7, 2020
Explore More: https://t.co/UWxmdPaWza pic.twitter.com/7L4aetyc3p
हालाँकि, शुरू में तनिष्क ने कुछ यूजर्स के सवालों के जवाब दिए भी। मगर जैसे ही बातें विज्ञापन पर होना शुरू हुईं, तनिष्क की ओर से रिप्लाई आना बंद हो गए। कई लोगों ने कहा कि जो कॉन्सेप्ट वो दिखा रहे हैं, उसकी हकीकत बहुत बर्बर है और ऐसे प्रचार से सिर्फ़ उन्हें बढ़ावा ही मिलेगा।
खास बात देखिए कि तनिष्क ने ऐसा एड दिवाली के त्योहार के मद्देनजर निकाला है और इस बात को उन्होंने अपने ट्वीट में भी उल्लेखित किया है। इसी पाखंड को समझने के बाद लोगों का पूछना है कि अगर बात एकत्वं की ही थी तो फिर हिंदू परिवार में मुस्लिम महिला को दिखाने से कोई गुरेज नहीं होना चाहिए था। फिर भी यही कोशिश क्यों?
बता दें कि रेवती कांत को लेकर साल 2019 की फरवरी में ‘मिंट’ ने एक लेख प्रकाशित किया था। आज वही लेख रेवती की और इस विज्ञापन के पीछे छिपी कुत्सित मानसिकता को उजागर कर रहा है।
कांत ने अपने प्रोफेशनल जीवन के दौरान आई चुनौतियों को सामने रखते हुए इसमें बताया है कि जब वह दुबई गईं थीं, तब ब्रांडेड घड़ियों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिर्फ़ स्विस व जापानी ब्रांड्स का बोल बाला था।
Titan (tanishq/fastrack) chief design officer Revathi Kant would wear burqa in uae office “out of respect for their culture and to better understand customer”
— Vedic Revival (@Vedic_Revival) October 14, 2020
Courtesy: @_kharsulde_ for the find pic.twitter.com/0HxF2kJfFy
भारतीय कंपनी के लिए जगह बनाना वहाँ बहुत मुश्किल था। उनके मुताबिक उस समय उस जगह भारतीयों को लेकर अच्छी धारणा नहीं थी। स्थानीय लोग, भारत को शाइनिंग इंडिया के नाम से नहीं ‘अल हिंद’ के नाम से पुकारते थे, वो भी बहुत अपमानजनक तरह से।
जाहिर है एक इस्लामी देश में रेवती के लिए कई चुनौतियाँ रही होंगी। मगर, उनके ऊपर उन्होंने कैसे काबू पाया, इसका उल्लेख करते हुए वह कहती हैं कि एक महिला होने के नाते उनके सामने केवल अकेले ट्रैवल करने की समस्या नहीं थी बल्कि वीजा मिलना भी बहुत कठिन था। ऐसे में एक प्रभावशाली डिस्ट्रिब्यूटर ने उन्हें वीजा दिलवाया और वह अपना बुर्का पहन कर दुबई में शेख से मिलने पहुँची।
वह आगे कहती हैं कि मीटिंग के बाद उनके एड एजेंसी वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वह दृश्य बहुत असामान्य था कि वो शेख के साथ बुर्के में एक बड़े कॉन्फ्रेंस रूम में थीं व अपना मीडिया प्लान डिस्कस कर रही थीं। रेवती के अनुसार, उनके लिए यह एक अनुभव था, जहाँ उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने आगे कहा कि उन्हें वहाँ अलग संस्कृति का सम्मान करने का मौका मिला और उन्होंने दूसरों के दिमाग को भी समझा।
इस लेख के मुताबिक रेवती का दुबई के संदर्भ में कहना है कि कहीं की संस्कृति को जितना समझा जाएगा, उतना ही कंपनी को अपना ग्राहक भी समझ आएगा। मगर दुखद बात यह है कि भारतीय होने के बावजूद रेवती का सरोकार भारत की बहुसंख्यक आबादी से नहीं रहा। भेड़ चाल में चलते हुए इतने बड़े ब्रांड को भी उन्होंने बहिष्कृत करवा ही दिया, वो भी सिर्फ़ अपनी अति सेकुलरवादी सोच और दुबई में सीखी मार्केंटिंग टेक्निक के कारण!