Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाजघड़ी बेचने के लिए दुबई में पहना बुर्का... यहाँ मुस्लिम परिवार में गर्भवती हिन्दू...

घड़ी बेचने के लिए दुबई में पहना बुर्का… यहाँ मुस्लिम परिवार में गर्भवती हिन्दू बहू: चीफ डिजाइनर रेवती कांत की कहानी

वो (रेवती कांत) शेख के साथ बुर्के में एक बड़े कॉन्फ्रेंस रूम में थीं व अपना मीडिया प्लान डिस्कस कर रही थीं। रेवती के अनुसार, उनके लिए यह एक अनुभव था, जहाँ अलग संस्कृति का सम्मान करने का मौका मिला और...

तनिष्क (Tanishq) के विज्ञापन को लेकर उपजे विवाद की चहुँओर चर्चा है। हर जगह इसे लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कहीं तनिष्क के प्रचार का समर्थन है तो कहीं पर आलोचना। 

ऐसे में तनिष्क पर मालिकाना अधिकार रखने वाली टाइटन पर खासा फर्क देखने को मिला है। खबर है कि जबसे हिंदुओं ने तनिष्क का बहिष्कार शुरू किया है तभी से टाइटन का स्टॉक 2.58% गिर गया है। इसके साथ ही टाइटन की चीफ डिजाइन ऑफिसर भी चर्चा में आ गई हैं।

जी हाँ, क्या आपको मालूम है कि टाइटन कंपनी की चीफ डिजाइन ऑफिसर रेवती कांत हैं। वही रेवती कांत, जिन्होंने दुबई में अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए वहाँ जाकर बुर्का पहना, शेख से मीटिंग की और बात जब भारत की आई तो यहाँ पर आकर एकत्वं के नाम पर ऐसा सेकुलर विज्ञापन जारी करवा दिया, जो लव जिहाद को प्रमोट करता हो।

विज्ञापन में भी यह ध्यान नहीं रखा गया कि यहाँ की बहुसंख्यक आबादी की भावनाएँ क्या है? उनकी संस्कृति क्या है? उनके त्योहारों के क्या मूल्य हैं? बस वामपंथियों के गढ़े नैरेटिव पर खरा उतरने के लिए पूरा एड तैयार किया गया और बाद में जब आलोचना शुरू हुई तो स्पष्टीकरण जारी (माफी नहीं माँगी) कर मामले को रफा दफा करने का प्रयास भी हुआ।

हालाँकि, अब समय पुराना नहीं रहा है और न ही उपभोक्ता पहले की तरह जानकारी से अनभिज्ञ है। उन्हें अपनी संस्कृति और सेकुलरिज्म के नाम पर तैयार किए जा रहे अजेंडे का अच्छे से ज्ञान है। शायद इसीलिए वह व्यापक स्तर पर सवाल पूछ रहे हैं कि जब दुबई में वहाँ की जनता व संस्कृति का सम्मान किया जा सकता है, ग्राहकों की भावनाओं को समझा जा सकता है तो भारत में क्यों नहीं?

कई वर्षों तक मध्य-पूर्व एवं अफ्रीका में टाइटन की मार्केंटिंग हेड के सामने बेशक शुरुआत में बतौर महिला कई चुनौतियाँ रही होंगी। उन्होंने कंपनी के व्यापार के लिए जो किया, उस पर भी किसी को कोई आपत्ति नहीं थी। मगर, भारत की हकीकत जानने के बावजूद एकत्वं के नाम पर ऐसा एड अगर लव जिहाद को प्रेरित नहीं करता तो किस ओर इशारा करता है?

तनिष्क की ओर से ठीक एक हफ्ते पहले घोषणा की जाती है कि उनकी चीफ डिजाइन ऑफिसर रेवती कांत त्योहारों के मौके पर उनका उत्पाद #EkatvamByTanishq लॉन्च करने जा रही हैं। अगर कोई सवाल हों तो उनसे पूछ लिया जाए, इसका वह खुशी-खुशी जवाब देंगी।

हालाँकि, शुरू में तनिष्क ने कुछ यूजर्स के सवालों के जवाब दिए भी। मगर जैसे ही बातें विज्ञापन पर होना शुरू हुईं, तनिष्क की ओर से रिप्लाई आना बंद हो गए। कई लोगों ने कहा कि जो कॉन्सेप्ट वो दिखा रहे हैं, उसकी हकीकत बहुत बर्बर है और ऐसे प्रचार से सिर्फ़ उन्हें बढ़ावा ही मिलेगा। 

खास बात देखिए कि तनिष्क ने ऐसा एड दिवाली के त्योहार के मद्देनजर निकाला है और इस बात को उन्होंने अपने ट्वीट में भी उल्लेखित किया है। इसी पाखंड को समझने के बाद लोगों का पूछना है कि अगर बात एकत्वं की ही थी तो फिर हिंदू परिवार में मुस्लिम महिला को दिखाने से कोई गुरेज नहीं होना चाहिए था। फिर भी यही कोशिश क्यों?

बता दें कि रेवती कांत को लेकर साल 2019 की फरवरी में ‘मिंट’ ने एक लेख प्रकाशित किया था। आज वही लेख रेवती की और इस विज्ञापन के पीछे छिपी कुत्सित मानसिकता को उजागर कर रहा है।

कांत ने अपने प्रोफेशनल जीवन के दौरान आई चुनौतियों को सामने रखते हुए इसमें बताया है कि जब वह दुबई गईं थीं, तब ब्रांडेड घड़ियों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिर्फ़ स्विस व जापानी ब्रांड्स का बोल बाला था।

भारतीय कंपनी के लिए जगह बनाना वहाँ बहुत मुश्किल था। उनके मुताबिक उस समय उस जगह भारतीयों को लेकर अच्छी धारणा नहीं थी। स्थानीय लोग, भारत को शाइनिंग इंडिया के नाम से नहीं ‘अल हिंद’ के नाम से पुकारते थे, वो भी बहुत अपमानजनक तरह से। 

जाहिर है एक इस्लामी देश में रेवती के लिए कई चुनौतियाँ रही होंगी। मगर, उनके ऊपर उन्होंने कैसे काबू पाया, इसका उल्लेख करते हुए वह कहती हैं कि एक महिला होने के नाते उनके सामने केवल अकेले ट्रैवल करने की समस्या नहीं थी बल्कि वीजा मिलना भी बहुत कठिन था। ऐसे में एक प्रभावशाली डिस्ट्रिब्यूटर ने उन्हें वीजा दिलवाया और वह अपना बुर्का पहन कर दुबई में शेख से मिलने पहुँची।

वह आगे कहती हैं कि मीटिंग के बाद उनके एड एजेंसी वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वह दृश्य बहुत असामान्य था कि वो शेख के साथ बुर्के में एक बड़े कॉन्फ्रेंस रूम में थीं व अपना मीडिया प्लान डिस्कस कर रही थीं। रेवती के अनुसार, उनके लिए यह एक अनुभव था, जहाँ उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने आगे कहा कि उन्हें वहाँ अलग संस्कृति का सम्मान करने का मौका मिला और उन्होंने दूसरों के दिमाग को भी समझा।

इस लेख के मुताबिक रेवती का दुबई के संदर्भ में कहना है कि कहीं की संस्कृति को जितना समझा जाएगा, उतना ही कंपनी को अपना ग्राहक भी समझ आएगा। मगर दुखद बात यह है कि भारतीय होने के बावजूद रेवती का सरोकार भारत की बहुसंख्यक आबादी से नहीं रहा। भेड़ चाल में चलते हुए इतने बड़े ब्रांड को भी उन्होंने बहिष्कृत करवा ही दिया, वो भी सिर्फ़ अपनी अति सेकुलरवादी सोच और दुबई में सीखी मार्केंटिंग टेक्निक के कारण!

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अंग्रेज अफसर ने इंस्पेक्टर सदरुद्दीन को दी चिट… 500 जनजातीय लोगों पर बरसने लगी गोलियाँ: जब जंगल बचाने को बलिदान हो गईं टुरिया की...

अंग्रेज अफसर ने इंस्पेक्टर सदरुद्दीन को चिट दी जिसमें लिखा था- टीच देम लेसन। इसके बाद जंगल बचाने को जुटे 500 जनजातीय लोगों पर फायरिंग शुरू हो गई।

कश्मीर को बनाया विवाद का मुद्दा, पाकिस्तान से PoK भी नहीं लेना चाहते थे नेहरू: अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, अब 370 की वापसी चाहता...

प्रधानमंत्री नेहरू पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर सौंपने को तैयार थे, यह खुलासा अमेरिकी दस्तावेज से हुआ है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -