Saturday, July 27, 2024
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पहले घटिया ‘सेक्युलर’ एड बना कर लव जिहाद को किया मेनस्ट्रीम, अब फर्जी हिंसा की धमकी की बात कर रहा Tanishq

आपने कब देखा है कि हिन्दुओं ने मजहब के नाम पर दुनिया के दो सबसे बड़े आतंकी संगठन खड़े कर दिए? आपने कब देखा है कि हिन्दुओं ने अपने देवी-देवताओं पर बने कार्टून्स से आक्रोशित होकर किसी मीडिया संस्थान के कर्मचारियों को मार डाला?

टाटा समूह की ‘Titan’ की सब्सिडियरी कम्पनी ‘Tanishq’ ज्वेलरी ने अपने प्रचार वीडियो के जरिए हिन्दू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने के बहाने ‘लव जिहाद’ को प्रमोट किया। अब जनता इन चीजों को बर्दाश्त नहीं करती है, इसलिए उसका जबरदस्त विरोध हुआ। अब ‘Tanishq’ ने इस पर खेद जताते हुए फिर से अपने झूठे अभिमान का परिचय तो दिया ही है, साथ ही उसकी भाषा बताती है कि उसे हिन्दुओं की भावनाओं की कोई कद्र ही नहीं है। ‘Tanishq’ ने अपने वीडियो पर माफ़ी माँगने की बजाए हिन्दुओं को ही हिंसक बताया है।

आज जब मीडिया के लाख छिपाने के बावजूद ‘लव जिहाद’ की एक के बाद एक खबरें आ रही हैं, ‘Tanishq’ का ये विज्ञापन वीडियो मुस्लिमों के महिमामंडन में जुटा है और हिन्दुओं को नीचा दिखा रहा है। ‘किसी मुस्लिम ने हिन्दू महिला को गर्भवती कर दिया’ और मुस्लिम परिवार इतने सहिष्णु होते हैं कि वहाँ महिलाओं की हद से ज्यादा इज्जत होती है – एक तरह से इस विज्ञापन वीडियो की थीम यही है।

‘Tanishq’ के विज्ञापन वीडियो से भी ओछा है उसका स्पष्टीकरण

अब वापस आते हैं कम्पनी के स्पष्टीकरण की तरफ, क्योंकि उसे माफीनामा तो बिलकुल ही नहीं कहा जा सकता है। उसका कहना कि उसके ‘एकत्वम्’ वाले वीडियो का उद्देश्य है कि अलग-अलग लोग, स्थानीय समुदाय और परिवार साथ आएँ, वो इस चुनौती भरे काल में ‘एकता’ का प्रदर्शन करें। साथ ही उसने लिखा है कि इस वीडियो को उसके उद्देश्य के उलट काफी तीव्र प्रतिक्रिया मिली, जिससे वो खासे उदास हैं।

लेकिन, सबसे ज्यादा ध्यान खींचती है इस स्पष्टीकरण की अंतिम पंक्ति, जिसमें दावा किया गया है कि कम्पनी अपने अधिकारियों, स्टोर कर्मचारियों और पार्टनरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस विज्ञापन वीडियो को वापस ले रही है। उसने ऐसा भी नहीं कहा कि वो हिन्दुओं से माफ़ी माँगता है या फिर ये विज्ञापन वीडियो गलत था, उसने उलटा हिन्दुओं को ही एक तरह से हिंसक और असहिष्णु ठहराया है।

विरोध होने के बाद ‘Tanishq’ ने जारी किया बयान

आपने कब देखा है कि हिन्दुओं ने अपने देवी-देवताओं पर बने कार्टून्स से आक्रोशित होकर किसी मीडिया संस्थान के कर्मचारियों को मार डाला? आपने कब देखा है कि किसी विधायक के रिश्तेदार द्वारा फेसबुक पर कुछ लिख देने से देश के तीसरे सबसे बड़े महानगर में हजारों हिन्दुओं ने मिल कर दंगा कर दिया? आपने कब देखा है कि सरकार ने वंचितों के लिए कोई क़ानून बनाया और विरोध में देश की राजधानी में हिन्दुओं ने मौत का तांडव खेला?

आपने कब देखा है कि हिन्दुओं ने मजहब के नाम पर दुनिया के दो सबसे बड़े आतंकी संगठन खड़े कर दिए? आपने कब देखा है कि हिन्दू राजाओं ने दूसरे मजहब के सैकड़ों धर्मस्थानों को ध्वस्त करवा कर वहाँ अपनी चीजें खड़ी कर दीं? आपने कब देखा है कि किसी फिल्म में अपने मजहब की महिला को किसी अन्य धर्म के व्यक्ति से प्यार होने की कहानी दिखाने पर हिन्दुओं ने सिनेमा हॉल्स पर पेट्रोम बमों से हमला कर दिया?

आपने कब देखा है कि अनगिनत फिल्मों में हिंदी देवी-देवताओं के अपमान के बाद हिन्दुओं ने किसी फ़िल्मी हस्ती पर हमला किया हो? लेकिन नहीं, ‘Tanishq’ को लगता है कि हिन्दू काफी हिंसक होते हैं और वो उसके स्टोर्स पर हमले करेंगे, उसके कर्मचारियों को मारेंगे, उसके अधिकारियों की जान के दुश्मन बन जाएँगे और उसके पार्टनर्स को धमकाएँगे। इसी देश में पली-बढ़ी एक कम्पनी की सोच इसी देश के लोगों को लेकर इस तरह की है।

असल में ये स्पष्टीकरण, ये सब कुछ मार्केट स्ट्रेटेजी है। असली बात तो ये है कि विरोध प्रदर्शन के बाद ‘Tanishq’ की ब्रांड को चोट पहुँची है और 1 दिन में उसके शेयर्स 2.58% लुढ़क गए, जिसके बाद उसके मार्केट कैप के भी धड़ाम होने की बात कही जा रही है। ऐसे में ये क़दम कुछ और नहीं, बल्कि अपने पार्टनर्स और शेयरधारकों को ये दिखाने की चेष्टा है कि उसे इस विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ा है और वो तो एकता की बातें कर रहा था।

ये वही कम्पनियाँ हैं, जिनसे कोई भूल न होने पर भी अगर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जैसी 1 विधायक वाली पार्टी भी इन्हें माफ़ी माँगने के लिए कह दे तो ये बाहर निकल कर साष्टांग दण्डवत हो जाएँगे। अगर ओवैसी की पार्टी को कुछ बुरा लग जाए तो ये रेंगते हुए माफ़ी माँगेंगे। ये सब छोड़िए, अगर मुस्लिमों को इनकी कोई बात बुरी लगी तब तो ये डर के मारे हाथ जोड़े ही खड़े रहेंगे। वैसे अंदाज़ा कम है कि ऐसा होने पर इन्हें इसके लिए समय भी मिलेगा।

जब फ़िल्मी हस्तियाँ तक भी बाइबिल के एक शब्द को लेकर मजाक करने पर हुए विरोध के बाद सीधे पोप के प्रतिनिधि पादरी के साथ जाकर हस्तलिखित माफीनामा सौंपती है और हिन्दुओं के विरोध पर जवाब देकर खुद को ‘आधुनिक और बहादुर’ समझती हैं, वैसा ही रवैया इन कंपनियों का है। हिन्दुओं के विरोध का मजाक बनाना बहादुरी की निशानी है और बाकी मजहबों के विरोध पर साष्टांग दण्डवत हो जाना सहिष्णुता की।

एक तो सेक्युलर बनने के चक्कर में ‘Tanishq’ ने एकता का सारा दारोमदार हिन्दुओं पर थोप दिया। हिन्दू महिलाएँ मुस्लिमों से शादी कर के गर्भवती होंगी, तभी उसे सेक्युलर कहा जाएगा। ऐसे ही एकता बढ़ाई जाती है क्या? ‘सर्फ एक्सेल और ‘रेड लेबल टी’ से लेकर ‘Tanishq’ तक, हमेशा हिन्दुओं को ही क्यों अपना सम्मान दाँव पर लगा कर इज्जत बेचनी पड़ती है इस हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए? हिन्दू महिलाएँ ही क्यों किसी अन्य मजहब के व्यक्ति से गर्भवती हों इस तथाकथित एकता के लिए?

ऊपर से ये दिखाना कि हिन्दुओं से उन्हें खतरा है! ‘Tanishq’ को पता है कि इस विवाद के बाद पूरी दुनिया की नजरें उस पर हैं और इसीलिए उसने विवाद के बीच बयान जारी कर के हिन्दुओं को ही आतंकवादी की तरह पेश कर दिया और ये जताया कि उसके कर्मचारियों और उसकी दुकानों को हिन्दुओं से खतरा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने ये प्रदर्शित किया जा रहा है कि हिन्दू कितने असहिष्णु होते हैं कि एकता की बात करने पर हिंसा करते हैं।

कुल मिला कर यहाँ ‘एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी’ वाली कहावत फिट बैठती है। एक तो ‘Tanishq’ ने ‘लव जिहाद’ जैसे खतरनाक अपराध को मेनस्ट्रीम बना कर उसका महिमामंडन किया, ऊपर से हिन्दुओं के अपमान के बाद हिन्दुओं को ही हिंसक घोषित कर दिया। अगर ‘Tanishq’ को जानना है कि हिंसक कौन है तो किसी अन्य मजहब की महिला को अलग धर्म के व्यक्ति से गर्भवती हुआ दिखाए और ज्यादा नहीं, बस कुछेक मिनट इन्तजार करे – एकता का मतलब समझ में आ जाएगा।

पहले वीडियो और फिर हिन्दुओं को बताया हिंसक: क्या है ‘Tanishq’ वाला मामला?

‘लव जिहाद’ की कई खबरों के बीच आए इस वीडियो में महिला को पारम्परिक साड़ी, बिंदी और गहने पहने हुए दिखाया गया है। हालाँकि, उसके साथ परिवार में जो अन्य लोग हैं, वो मुस्लिम हैं। उसके साथ जो बुजुर्ग महिला दिख रही है, उसने बिंदी भी नहीं लगाई है। परिवार के लोग गहनों से लदी हिन्दू महिला को सरप्राइज के लिए बगीचे में लेकर जा रहे होते हैं। बैकग्राउंड में दीपमालाएँ हैं और नटराज की प्रतिमा भी है। मुस्लिम परिवार को एकदम ‘सहिष्णु’ दिखाने का प्रयास किया गया है।

साथ ही मुस्लिम परिवार का बुजुर्ग भी साज-सजावट में व्यस्त रहता है। बैकग्राउंड में एक महिला कहती है, “रिश्ते हैं कुछ नए-नए, धागे हैं कुछ कच्चे-पक्के। अपने बल से इन्हें सहलाएँगे, प्यार पिरोते जाएँगे। एक से दूजा सिरा जोड़ देंगे, एक बँधन बनते जाएँगे।” इस वीडियो में भरा-पूरा मुस्लिम परिवार दिखता है, जहाँ बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक गर्भवती महिला को सरप्राइज देने के लिए बगीचे में इन्तजार कर रहे हैं।

ये भी जानने लायक बात है कि ‘Tanishq’ की वेबसाइट पर ‘हिन्दू’ कीवर्ड से कल तक एक भी परिणाम उपलब्ध नहीं था। इस कीवर्ड को सर्च करने के बाद बताया गया कि कोई परिणाम सामने नहीं आता है। इसमें स्पेलिंग को डबल चेक करने की बात की जाती है। लोगों का कहना था कि दोनों (हिंदू-मुस्लिम) के लिए अलग-अलग रवैया क्यों अपनाया जा रहा है। मुस्लिम के लिए 352 प्रोडक्ट्स और एक (हिंदू) के लिए एक भी नहीं। विरोध के बाद ‘Tanishq’ ने इसमें परिवर्तन किया है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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