तेलंगाना हाई कोर्ट ने शिया मुस्लिमों के अखबारी फिरके की महिलाओं को इबादत खाना (मस्जिद) में नमाज अदा करने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि कुरान में कहीं भी महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने से नहीं रोका गया है, ऐसे में यहाँ भी नहीं रोका जाना चाहिए।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, “कुरान में कहीं भी अल्लाह ने महिलाओं को नमाज के लिए इबादत खानों में घुसने से मना नहीं किया है। इसके अध्या 2 के अलबकरह 222-223 से यह साफ होता है कि एक विशेष समय को छोड़ कर, जिसे प्रकृति के अनुसार महिलाओं के लिए आराम का समय माना गया है, उन्हें नमाज पढ़ने पर रोक नहीं है।”
कोर्ट ने कहा कि इससे पहले वक्फ बोर्ड 2007 में शिया मुस्लिमों के उसूली समुदाय की महिलाओं को मस्जिद के भीतर नमाज पढ़ने पर लगी रोक हटा दी थी। वक्फ बोर्ड ने उसूली समुदाय की महिलाओं को मस्जिद के भीतर नमाज पढ़ने की इजाजत दे दी थी।
कोर्ट ने कहा कि अखबारी समुदाय की महिलाओं को अगर उसूली समुदाय की महिलाओं जैसी छूट नहीं मिलती तो यह भेदभाव होगा। कोर्ट ने यह भी प्रश्न उठाए कि जब उसूली समुदाय की महिलाओं को घुसने दिया जा रहा है तो फिर अखबारी महिलाओं को क्यों रोका जा रहा है, यह कारण भी नहीं पता है।
कोर्ट अखबारी समुदाय की महिलाओं के संगठन अंजुमने अलवी शिया इमामिया इथना अशरी अखबारी की एक याचिका सुन रहा था। इस याचिका में माँग की गई थी कि अखबारी समुदाय की महिलाओं को इबादत खानों (मस्जिद) में जशन, नमाज और बाकी मजहबी क्रियाकलापों में शामिल होने की अनुमति दी जाए।
कोर्ट ने महिलाओं की इस याचिका के खिलाफ तेलंगाना का वक्फ बोर्ड था। वक्फ बोर्ड का कहना था कि भले ही कुरान महिलाओं को मस्जिद में नमाज अदा करने से न रोकती हो लेकिन पुराणी परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए। हालाँकि, कोर्ट ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया।
इस संबंध में कोर्ट ने दिसम्बर, 2023 में भी आदेश दिया था। तब भी कोर्ट ने महिलाओं को मस्जिद के भीतर नमाज के लिए प्रवेश दिए जाने का आदेश दिया था। हालाँकि, इस आदेश के विरुद्ध वक्फ बोर्ड कोर्ट पहुँच गया था। अब कोर्ट ने अपना आदेश साफ़ स्पष्ट रूप से दिया है।