तेलंगाना का नलगोंडा शहर देश और दुनिया के लिए देशभक्ति की मिसाल बना हुआ है। नलगोंडा शहर के 12 प्रमुख जगहों पर हर रोज सुबह 8:30 बजे राष्ट्रगान बजाया जाता है। इस दौरान पूरे शहर में जो शख्स जहाँ और जिस भी स्थिति में होता है, वो 52 सेकंड के लिए वहीं सावधान अवस्था में खड़ा होकर राष्ट्रगान को सम्मान देता है। हर सुबह राष्ट्रगान के लिए 52 सेकंड के लिए खड़े होने की नई पहल को सभी धर्मों और जातियों के लोगों ने सराहा है।
इस नई पहल ने पूरी दुनिया में देश का सम्मान बढ़ाया है। 23 जनवरी को देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नेताजी की जयंती पर ही पिछले साल इस पहल को नलगोंडा में शुरू किया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ष 2021 में ये पहल जन गण मन उत्सव समिति ने शुरू की थी। समिति के अध्यक्ष कर्णती विजय कुमार और उनके दोस्तों ने मिलकर इस पहल की शुरुआत की। समिति का मानना है कि राष्ट्रगान गाने से लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत होती है और हर धर्म और मजहब के लोगों को ये पता चलता है कि देशभक्ति सर्वोपरि है। धीरे-धीरे ये चलन अब नलगोंडा के आसपास के कई छोटे शहरों में भी देखने को मिल रहा है।
बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में वर्ष 2020 में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा के अतिक्रमण के बाद भारतीय जवानों ने मुँहतोड़ जवाब दिया था। इसमें हालाँकि भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू बलिदान हुए थे। इन्हीं संतोष बाबू का जन्म और पालन-पोषण तेलंगाना के नलगोंडा इलाके में हुआ था।
गलवान घाटी युद्ध में बलिदान हुए कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था। उनकी पत्नी और माँ ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ये सम्मान प्राप्त किया था। कर्नल बिकुमाला संतोष बाबू को ‘शत्रु से मुकाबला करते हुए असाधारण वीरता के प्रदर्शन’ के लिए ये सम्मान मिला था। वो ‘बिहार रेजिमेंट’ की 16वीं बटालियन का हिस्सा थे। ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ के दौरान पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वह बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात थे।