Monday, November 18, 2024
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बिटकॉइन में डील करता था मंगलुरु में धमाका करने वाला आतंकी मोहम्मद शरीक, साथियों को क्रिप्टो में भेजता था पैसे: ‘प्रेम राज’ बन सीख रहा था मोबाइल रिपेयरिंग

इससे पहले मंगलुरु बम ब्लास्ट में गिरफ्तार आरोपित मोहम्मद शरीक को लेकर कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने बड़ा दावा किया था। उन्होंने कहा था कि शरीक ऑटो में बैठने के बाद खुद को हिंदू बता रहा था, ताकि उस पर किसी को शक न हो।

कर्नाटक के मंगलुरु में शनिवार (19 नवंबर, 2022) को हुए बम ब्लास्ट मामले में एक के बाद कई खुलासे होते जा रहे हैं। जाँच में सामने आया है कि गिरफ्तार आरोपित मोहम्मद शरीक मैसूर में एक मोबाइल रिपेयरिंग ट्रेनिंग सेंटर में रिपेयरिंग का काम सीख रहा था। साथ ही, यह भी खुलासा हुआ है कि वह बिटकॉइन ट्रेडिंग करता था और अपने साथियों को क्रिप्टो करेंसी भेजता था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुरुआती जाँच में सामने आया है कि मोहम्मद शरीक मैसूर में फर्जी आधार कार्ड के आधार पर किराए के मकान में रह रहा था। इस मामले में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आलोक कुमार ने कहा है कि सितंबर 2022 में शरीक के दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद वह शिवमोग्गा से भाग कर मैसूर में किराए पर घर लेकर रह रहा था। जहाँ वह एक मोबाइल रिपेयरिंग ट्रेनिंग सेंटर में काम सीख रहा था।

वहीं, रिपेयरिंग सेंटर के मालिक का कहना है कि उनके ट्रेनिंग सेंटर में शरीक ने खुद को ‘प्रेम राज’ बताया था। इसके लिए उसने आधार कार्ड भी दिखाया था। उन्होंने आगे कहा है कि मोहम्मद शरीक ने उन्हें बताया था कि उसकी नौकरी एक कॉल सेंटर में लग गई है। लेकिन, उनकी जॉइनिंग होने में 28 दिन का समय है। इसलिए, वह घर में खाली बैठने की जगह मोबाइल रिपेयरिंग सीखना चाहता है।

रिपेयरिंग सेंटर के मालिक ने यह भी कहा है कि उनके संस्थान में 45 दिनों का रिपेयरिंग कोर्स होता है। लेकिन, शरीक 20-21 दिन ही उनके यहाँ आया होगा। इस दौरान भी वह ट्रेनिंग सेंटर एक दिन आता था और फिर उसके अगले 1 या दो दिन नहीं आता था।

मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर के मालिक के इस बयान के आधार पर फिलहाल यह अंदाजा लगाया जाना बेहद आसान है कि बम धमाके का आरोपित मोहम्मद शरीक बम बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सर्किट व अन्य साधनों में होने वाली सोल्डरिंग (टाँका) सीखने के लिए ही रिपेयरिंग सेंटर जाता था। हालाँकि, पूरे मामले का खुलासा गिरफ्तार आरोपित मोहम्मद शरीक व उसके अन्य सहयोगियों से पूछताछ और पुलिस की जाँच के बाद ही हो सकेगा।

वहीं एक अन्य रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि मोहम्मद शरीक बिटकॉइन में ट्रेडिंग करता था और इससे कमाए हुए पैसे को क्रिप्टो करेंसी के द्वारा अपने सहयोगियों को भेजता था। इसका सीधा मतलब है कि आतंकी गतिविधियों में क्रिप्टो करेंसी का उपयोग हो रहा है। इससे पहले मंगलुरु बम ब्लास्ट में गिरफ्तार आरोपित मोहम्मद शरीक को लेकर कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने बड़ा दावा किया था। उन्होंने कहा था कि शरीक ऑटो में बैठने के बाद खुद को हिंदू बता रहा था, ताकि उस पर किसी को शक न हो। इसके लिए, उसने एक आधार कार्ड दिखाया था, जिस पर हिंदू नाम था। यह आधार कार्ड उसने रेलवे कर्मचारी से चुराया था।

के. सुधाकर ने यह भी कहा था कि पुलिस हर एंगल से मामले की जाँच कर रही है। यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि मोहम्मद शरीक के संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों, बैन किए गए संगठनों या स्लीपर सेल से तो नहीं है। उन्होंने कहा है कि कर्नाटक की सीमा केरल से लगती है। इसलिए, स्लीपर सेल से जुड़े होने की भी आशंका है।

उन्होंने यह भी कहा था कि बीते महीने तमिलनाडु के कोयंबटूर में भी ऐसा ही बम धमाका हुआ था। तब भी आतंकियों ने मंदिर के पास ब्लास्ट करने की साजिश रची थी। पुलिस ने मोहम्मद शरीक के मूवमेंट को ट्रेस किया है जिसमें सामने आया है कि उसने कोयंबटूर में एक व्यक्ति से मुलाकात की थी।

इस मामले में पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार आरोपित मोहम्मद शरीक ऑटो में बैठकर पंपवेल एरिया में जाना चाहता था, जहाँ वह अपने साथ लिए हुए कुकर बम (विस्फोटक) को नगौरी के भीड़-भाड़ इलाके में प्लांट करना चाहता था। हालाँकि, ऑटो में बैठने के थोड़ा देर बाद ही विस्फोट हो गया।

यही नहीं, शुरुआती जाँच के बाद पुलिस ने कहा है कि शरीक ने कोयंबटूर से किसी और के नाम पर एक सिम खरीदा था। इस सिम कार्ड के टावर लोकेशन की जाँच से सामने आया है कि वह तमिलनाडु के इलाकों में घूम रहा था। शरीक की फोन डिटेल निकाली जा रही है, जिससे उसके साथियों के बारे में जानकारी सामने आ सकेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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