आज 19 जनवरी है। ये वही दिन है, जब कश्मीर के हिंदुओं के जिंदगी में काला दिन बनकर आया। आज ही दिन घाटी की मस्जिदों से हिंदुओं के खिलाफ फतवे जारी कर उन्हें घाटी छोड़ने का फरमान जारी किया गया था। आज भी कश्मीरी इस दिन को याद कर सिहर उठते हैं।
19 जनवरी यानी कश्मीरी पंडित नरसंहार दिवस पर कश्मीरी पंडितों ने उस दिन को याद किया। एक महिला ने बताया, “धर्मांतरित हो, या मरो या भाग जाओ! 1990 में आज ही के दिन जब पूरी घाटी के मस्जिदों से यह नारा दिया गया। हजारों पंडितों का नरसंहार कर लाखों को अपने ही वतन में निर्वासित किया गया था। सनातनियों, याद रखना, भूलना नहीं।”
"धर्मांतरित हो, या मरो या भाग जाओ”
— Prabal Pratap Singh Judev (@prabaljudevBJP) January 19, 2023
1990 में, आज ही के दिन जब पूरी घाटी के मस्जिदों से यह नारा दिया गया, हजारों पंडितों का नरसंहार कर लाखों को अपने ही वतन में निर्वासित किया गया था।
सनातनियों, याद रखना , भूलना नहीं !!#कश्मीरी_पंडित_नरसंहार_दिवस pic.twitter.com/TurKTbdjbK
एक कश्मीरी महिला अपने दर्द को याद करते हुए कहती है, “हम भागे नहीं, हमें भगाया गया। मस्जिदों से वो अनाउंस करते थे। लड़कियाँ गिन कर रखी थीं। वो लड़की मेरी… वो औरत मेरी… वो मकान मेरा। सेकेंड क्लास में मेरा भाई पढ़ता था। मैं अपनी पड़ोसन की ट्रक मे आई हूँ। कौन पड़ोसी? कोई नहीं था वहाँ जो उन्हें बताए कि ये मत करो, ये गलत है? कौन सा भाईचारा उन्होंने उस वक्त हमें दिखाया, जो कहें ये हमारे अपने हैं?”
‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के निर्माता विवेक अग्निहोत्री पीड़िताओं द्वारा बताई गई कहानी को याद करते हुए कहते हैं, “हमारे अपने, हमारे पड़ोसी, हमारे स्टूडेंट्स थे। जो हमारे घरों में आकर खेलते थे बच्चे, हमारे घरों में खेलना सीखा। जब वे थोड़े बड़े हो गए और उनकी मूँछें आ गई तो उन्होंने आकर हमारे पति को मारा।”
कश्मीर के मुस्लिम पड़ोसियों को याद करते हुए फिल्म के मुख्य किरदार निभाने वाले अनुपम खेर कहते हैं, वे अमानवीय लोग हैं। उनके शरीर में दिल नहीं है। राक्षस हैं वो। आप कैसे महसूस करेंगे कि आप इंसान हैं? जब दूसरे का दुख आपको अपना दुख लगता है, तो लगता है कि आप इंसान हैं।”
अनुपम खेर ने बताया कि जब वे इस फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़े थे, तब बहुत रोए थे। खेर बोले, हम उस सपने को पूरा होते हुए देख रहे थे। 32 साल से किसी ने हमारी आवाज सुनी नहीं थी। मैंने अपने दादा जी को मरते देखा था, अपने पिताजी को मरते देखा था।”
बता दें कि The Kashmir Files को 19 जनवरी को कुछ सीमित थिएटर्स में दोबारा रिलीज किया गया है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ सिनेमा इतिहास की उन चुनिंदा फिल्मों में है, जिसे एक साल के भीतर दो बार रिलीज़ किया गया। 19 जनवरी को कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के 33 साल पूरे रहे हैं।