दिल्ली के टिकरी बॉर्डर गैंगरेप मामले के मुख्य आरोपितों में एक किसान सोशल आर्मी के अंकुर सांगवान ने बुधवार (27 अक्टूबर 2021) को बहादुरगढ़ कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसके सिर पर 25,000 रुपए का इनाम था। पुलिस की अर्जी पर कोर्ट ने उसे रिमांड पर भेज दिया है। अंकुर दादरी के चरखी के मंदोला का रहने वाला है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना की जाँच के लिए बनाई गई एसआईटी के चीफ और बहादुरगढ़ डीएसपी पवन कुमार ने कहा है कि मई 2021 में बहादुरगढ़ पुलिस स्टेशन में बलात्कार का मामला दर्ज किया था। रेप के बाद पीड़िता कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई थी और बाद में उसकी मौत हो गई थी। पीड़िता के पिता ने एसआईटी को बताया था कि उनकी बेटी अनूप सिंह चनोट और अनिल मलिक के साथ किसान सोशल आर्मी के एक टेंट में रहती थी। इसी टेंट में पहले उसके साथ छेड़छाड़ हुई और फिर उसका रेप किया गया। चनोट आम आदमी पार्टी (AAP) का नेता है। वह और अंकुर सांगवान किसान सोशल आर्मी के भी प्रमुख नेता हैं। इसी साल 30 अप्रैल को पीड़िता की बहादुरगढ़ के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी।
इस केस की जाँच में शामिल सभी लोगों ने ये स्वीकार किया है कि अनिल मलिक, आप नेता अनूप सिंह चनोट और दूसरे लोगों ने मृतका के साथ छेड़छाड़ और रेप किया था। बता दें कि अनिल मलिक को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि एक और आरोपी जगदीश अभी भी फरार है। अंकुर ने कोर्ट में सरेंडर करने के बाद कहा कि वह नवंबर 2020 में टिकरी बॉर्डर पर पहुँचा था, जहाँ उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ‘किसान सोशल आर्मी’ की शुरुआत की। न्यूजलॉन्ड्री जैसे मीडिया आउटलेट्स ने बलात्कार की घटना से पहले चनोट सहित किसान सोशल आर्मी के नेताओं का इंटरव्यू लिया था। इन्हीं मीडिया आउटलेट्स ने इन लोगों को ‘किसान आंदोलन की सही तस्वीर नहीं दिखाने’ और ‘गोदी मीडिया’ को गाली देने के लिए प्लेटफॉर्म दिया था।
दरअसल, पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान अंकुर सांगवान राज्य के दौरे पर गया था। वहाँ वह पीड़िता से किसान सोशल आर्मी के नेता के तौर पर मिला। इसके बाद ही पीड़िता दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल हुई। पीड़िता 12 अप्रैल को ट्रेन से प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पश्चिम बंगाल से आई थी। लेकिन दिल्ली में उसका यौन शोषण किया गया। बाद में कोविड-19 वायरस से संक्रमित हुई पीड़िता की 30 अप्रैल को बहादुरगढ़ के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई।
गौरतलब है कि आंदोलनजीवी योगेंद्र यादव ने भी 10 मई 2021 को इस बात को स्वीकार किया था कि वो युवती के साथ हुई घटना से वाकिफ थे। मृतका के पिता ने भी बताया था कि यादव 24 अप्रैल से उनकी बेटी के संपर्क में थे और उसकी मृत्यु से पहले के हालातों के बारे में वो अच्छी तरह से जानते थे। बावजूद इसके पुलिस को जानकारी देने के बजाय योगेंद्र यादव इस घटना को दबाने में लगे थे।