तमिलनाडु में हिंदी भाषियों के साथ हुई कथित हिंसा के बीच अब वहाँ सरकारी नौकरी में उत्तर भारतीयों और ब्राह्मणों के प्रभुत्व के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति में आरक्षण की माँग कर रहे हैं। यह प्रदर्शन राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके के सहयोगी संगठन टीपीडीके के नेतृत्व में हो रहा है। टीपीडीके कार्यकर्ता केंद्र सरकार की नौकरियों में तमिलों को आरक्षण देने की भी माँग कर रहे हैं।
रिपब्लिक की रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित शास्त्री भवन के सामने द्रविड़ समर्थक संगठन, थानथाई पेरियार द्रविड़ कज़गम (टीपीडीके) के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी राज्य की सरकारी नौकरियों में उत्तर भारतीयों और ब्राह्मणों के प्रभुत्व का विरोध कर रहे हैं। साथ ही उनकी माँग है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में तमिलों को आरक्षण दिया जाए। यही नहीं, प्रदर्शनकारी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में आरक्षण की माँग कर रहे हैं।
Chennai | Thanthai Periyar Dravidar Kazhagam (TPDK) cadres hold protest in front of Shastri Bhawan demanding reservation in the appointment of Supreme Court and High Court judges and priority be given to Tamils in the appointment of Central govt jobs in Tamil Nadu pic.twitter.com/wSWDeEaf84
— ANI (@ANI) March 7, 2023
टीपीडीके पूरे चेन्नई में प्रदर्शन करने की योजना बना रहा है। इसमें टीपीडीके का उद्देश्य खासतौर से सरकारी कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन करने का है। प्रदर्शन को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की की गई थी। टाइम्स नाउ द्वारा शेयर किए वीडियो में टीपीडीके समर्थक पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास करते देखे जा सकते हैं। प्रदर्शनकारियों के उपद्रव को देखते हुए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा है। वहीं, कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया है।
Pro-DMK outfit holds a protest in front of the central govt offices against Brahmins & North Indians’ dominance in the public sector jobs in Tamil Nadu- WATCH.@sreeprapanch shares the latest updates from the protest site.@prathibhatweets | @TamilNadu pic.twitter.com/eHirpzvIgJ
— TIMES NOW (@TimesNow) March 7, 2023
गौरतलब है कि डीएमके समर्थक संगठन टीपीडीके ब्राह्मण विरोधी बयानबाजी के साथ ही राज्य में क्षेत्रवाद और संप्रदायवाद को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहा है। अक्टूबर 2022 में, टीपीडीके ने सीबीएसई की किताब में ‘वर्ण व्यवस्था’ को लेकर एक चैप्टर के विरोध में प्रदर्शन किया था।
பள்ளிப் பிள்ளைகளுக்கு #வர்ணாஸ்ரம சமூக அடுக்குகளைக் கற்றுத் தருகிறது ஃபாசிச பாஜகஅரசு. இப்போது எங்கே உள்ளது #மனுதருமம் அல்லது வர்ணாஸ்ரம தருமம் என்று கேள்வி எழுப்புவோரின் கவனத்திற்காக. இந்துக்களில் நான்கு வகை மட்டுமே.
— Thol. Thirumavalavan (@thirumaofficial) September 24, 2022
எஸ்சி, எஸ்டி சமூகப் பிரிவினர் இந்நான்கு வகைகளைச் சாராதவர்கள். pic.twitter.com/LW5gP0MyyT
यही नहीं, नवंबर 2022 में इसी संगठन ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को हटाने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी। टीपीडीके के कार्यकर्ता हिंसा में भी शामिल रहे हैं। साल 2013 में श्री अरबिंदो आश्रम में हुई हिंसा मामले में टीपीडीके के नाम सामने आया था।
तमिलनाडु में हो रहे इस प्रदर्शन को राज्य में हिंदी भाषी मजदूरों के साथ हुई कठिन हिंसा से जोड़कर भी देखा जा रहा है। दरअसल, इस प्रदर्शन में टीपीडीके के कार्यकर्ता नौकरियों में उत्तर भारतीयों के प्रभुत्व का विरोध कर रहे हैं। उत्तरभारत में ही हिंदी बोली जाती है। इसलिए ऐसा कहा जा रहा है कि कथित हिंसा की खबरों के बाद ही यह प्रदर्शन शुरू किया गया है।
हिंदी भाषियों के खिलाफ हिंसा
बता दें कि बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर ऐसे दावे किए जा रहे थे कि तमिलनाडु में हिंदी भाषियों के साथ हिंसा हो रही है। सोशल मीडिया पर वायरल कुछ वीडियो में लोगों को मारपीट करते हुए दिखाया गया था। हालाँकि तमिलनाडु सरकार ने ऐसे किसी भी हिंसा की घटनाओं का खंडन किया है। तमिलनाडु पुलिस ने कहा है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो फेक हैं। इनमें से ज्यादातर वीडियो तमिलनाडु के हैं भी नहीं। यही नहीं, तमिलनाडु पुलिस ने हिंदी भाषियों के साथ हो रही हिंसा की अफवाह फैलाने के आरोप में 9 लोगों के खिलाफ FIR भी दर्ज की है।