प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार (11 जून 2021) को 1,064 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड के मामले में तेलंगाना के खम्मम से टीआरएस के सांसद नामा नागेश्वर राव और ‘राँची एक्सप्रेस वे लिमिटेड’ के निदेशकों के घर और दफ्तर पर छापेमारी की।
तलाशी अभियान सुबह 7 बजे शुरू हुआ। इस दौरान ईडी ने 6 स्थानों पर सर्च अभियान चलाया, जिसमें सांसद नामा नागेश्वर राव के आवास व दफ्तर, हैदराबाद के जुबली हिल्स स्थित मधुकॉन इंफ्रा के ऑफिस, ‘राँची एक्सप्रेस वे’ के सीएमडी के. श्रीनिवास राव एवं इस कंपनी के दो अन्य निदेशकों – एन. सीतैया व पृथ्वी तेजा के आवास पर छापेमारी की। रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक से लोन दिलाने के मामले में नामा नागेश्वर राव पर्सनल गारंटर बने थे और पृथ्वी तेजा उनके बेटे हैं।
2019 में सीबीआई ने दर्ज की थी एफआईआर
साल 2019 में सीबीआई ने राँची एक्सप्रेस वे लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद केंद्रीय जाँच एजेंसी ने इस मामले में कंपनी और इसके निदेशकों के खिलाफ 2020 में चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई की एफआईआर में उस दौरान मधुकॉन प्रोजेक्ट, मधुकॉन इंफ्रा, मधुकॉन टॉली हाईवे, ऑडिटर्स और बैंकों के एक कंसोर्टियम के अधिकारियों के भी नाम शामिल थे।
अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच कर रहा है। दरअसल, केनरा बैंक के नेतृत्व में बैंक्स प्रमोटरों के 503 करोड़ रुपए के सहयोग से 1,151 करोड़ की फंडिंग के लिए सहमत हुए थे।
इस केस में गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (एसएफआईओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रमोटरों ने 50 करोड़ रुपए में हेराफेरी कर रख-रखाव के रूप में 98 करोड़ रुपए का दावा किया और 94 करोड़ जुटाने के लिए एडवांस का इस्तेमाल कर लिया। इसके बाद 22 करोड़ रुपए को डायवर्ट कर दिया। इस तरह से कंपनी ने कुल 264 करोड़ रुपए का घालमेल किया।
सीबीआई ने कहा है कि अभी तक परियोजना में कोई प्रगति नहीं हुई है और आरोपितों ने 1,029 करोड़ रुपए का कर्ज हासिल करने के लिए धोखाधड़ी की है। 2018 में इस लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए में डाल दिया गया था।
कंपनी को राँची से जमशेदपुर को जोड़ने वाले एनएच-33 पर 163 किलोमीटर लंबी फोर लेन सड़क का ठेका मिला था। मार्च 2011 में ही नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने मधुकॉन प्रोजेक्ट लिमिटेड को इसका ठेका दिया था। इसके बाद मधुकॉन लिमिटेड ने इस विशेष परियोजना के लिए राँची एक्सप्रेस वे लिमिटेड शुरू किया था।
हालाँकि, जनवरी 2019 में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने अपने एग्रीमेंट को खत्म कर दिया था और कंपनी के 73 करोड़ रुपये को जब्त कर लिया था।