गाजियाबाद के डासना स्थित शिव-शक्ति धाम परिसर में बुधवार (जून 2, 2021) की रात काशिफ़ और विपुल नाम के दो व्यक्ति घातक ड्रग सायनाइड और सर्जिकल ब्लेड के साथ घुस गए थे। दोनों फ़िलहाल पुलिस की गिरफ्त में हैं। 20 दिनों में ये दूसरी बार है जब महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या का प्रयास किया गया। अब पता चला है कि मंदिर में घुसे इन दो संदिग्धों को महंत यति की गतिविधियों की पूरी जानकारी थी।
‘दैनिक जागरण’ की खबर के अनुसार, ये दोनों ऐसे समय में मंदिर परिसर में घुसे थे जब नरसिंहानंद सरस्वती पूजा-पाठ में तल्लीन होते हैं और अपनी सुरक्षा से अलग होते हैं। महंत की दिनचर्या की बातें करें तो वो प्रतिदिन शाम 7 बजे से लेकर पौने 9 बजे तक मंदिर परिसर में हवन करते हैं। इसके बाद आरती की जाती है। इस दौरान वो अपने साथ सुरक्षा नहीं रखते। संदिग्धों को इसकी पूरी सूचना थी।
तभी वो तो रात के ठीक 8-9 बजे के मध्य में ही मंदिर परिसर में दाखिल हुए। इस समय महंत यति अपने अनुयायी अनिल यादव के लालकुआँ में स्थित दफ्तर से ‘सुदर्शन न्यूज़’ के एक लाइव डिबेट शो में हिस्सा ले रहे थे। इसी कारण संदिग्धों से उनका आमना-सामना नहीं हो पाया और शक होने पर सेवादारों ने उन दोनों को पकड़ लिया। महंत के करीबियों ने पुलिस को भी उनकी सुरक्षा के प्रति गंभीर रहने और लापरवाही न बरतने का आग्रह किया है।
अनुयायियों का कहना है कि देश में कई शहरों में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, धमकी भरी नारेबाजी हुई 20 दिन पहले ही जम्मू कश्मीर से आया मोहम्मद डार उर्फ़ जहाँगीर दबोचा गया था, लेकिन फिर भी उनकी सुरक्षा में सिर्फ एक गार्ड की तैनाती की गई है। पुलिसकर्मियों से निवेदन किया गया है कि वो मंदिर परिसर में आने वालों की सघन जाँच करें। पूर्व में भी उन पर हमले के कई असफल प्रयास हो चुके हैं।
बता दें कि इन दोनों ने मंदिर के प्रमुख द्वार के बाहर एंट्री रजिस्टर में अपना नाम डॉक्टर विपुल विजय वर्गीय नागपुर और काशी गुप्ता के रूप में कराई थी। अनिल यादव ने पुलिस में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई है। काशिफ़ ने पूछताछ में बताया कि विपुल से उसकी दोस्ती फेसबुक के जरिए हुई थी और फिर फोन पर बातचीत होने लगी। उसका कहना है कि विपुल कुछ दिनों से गाजियाबाद आया हुआ था और उसे डासना के मंदिर का दर्शन करना था, इसीलिए वो उन्हें यहाँ लेकर आया था।