राजस्थान के उदयपुर (Udaipur, Rajasthan) में टेलर कन्हैया लाल (Kanhaiya Lal Murder) की सरेआम गला काटकर तालिबानी तरीके से की गई हत्या के मामले में निलंबित किए किए चार पुलिसकर्मियों को बहाल कर दिया गया है। विभाग जाँच में ये अधिकारी बेदाग पाए गए हैं। इस घटना के बाद राजस्थान सरकार ने लापरवाही बरतने के आरोप में राजस्थान पुलिस सेवा के चार अधिकारी सहित 12 से अधिक पुलिसकर्मियों को 1 जुलाई 2022 को सस्पेंड कर दिया था।
बता दें कि 28 जून 2022 को इस्लामी चरमपंथियों द्वारा कन्हैया लाल की दुकान में घुसकर गला काट दिया था। घटना के बाद चार महीने तक विभागीय जाँच की गई, जिसमें अब तक चार पुलिस अधिकारियों को फिर बहाल कर दिया है। कहा जा रहा है कि इन्हीं अधिकारियों के कारण आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था।
राजस्थान की अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार में संयुक्त सचिव (कार्मिक) राजेंद्र सिंह कविया ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। बहाल किए गए अधिकारियों में तत्कालीन सिटी एएसपी अशोक मीणा, डीएसपी (पश्चिम) जितेंद्र आंचलिया और डीएसपी (ईस्ट) जनरैल सिंह शामिल हैं। वहीं, उदयपुर की सीआईडी इंटेलिजेंस में एएसपी रहे राजेश भारद्वाज को लगभग एक महीना पहले ही क्लीनचिट देकर बहाल कर दिया गया था।
जाँच में पाया गया है कि डिप्टी जितेंद्र आंचलिया की सूचना पर आतंकी मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को भीम-देवगढ़ मार्ग पर दबोचा गया था। उन्होंने ही हत्या के बाद मालदास स्ट्रीट में कन्हैया लाल के शव के पास हजारों की संख्या में जुटे लोगों को समझाया था और दंगा भड़कने से रोका था। हालाँकि, इस मामले में निलंबित किए गए अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभी जाँच जारी है।
बता दें कि कन्हैया लाल हत्याकांड की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) कर रही है। इस मामले में 9 मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद सहित 9 आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है। सभी आरोपितों की शिनाख्त हो चुकी है और उनके बयान भी कोर्ट में दर्ज हो चुके हैं।