राजस्थान के उदयपुर (Udaipur, Rajasthan) में कन्हैया लाल साहू (Kanhaiya Lal Sahu) की निर्मम हत्या के आरोपित रियाज अख्तारी (Riyaz Akhtari) और गौस मोहम्मद (Ghaus Mohammad) से पूछताछ में नई-नई जानकारियाँ सामने आ रही है। रियाज ने राष्ट्रवादी राजनीतिक संगठन भाजपा (BJP) में शामिल होने की कोशिश की थी। तो क्या वह भगवा की आड़ में हिंदुओं को निपटाने की साजिश पर काम कर रहा था?
अगर हम इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा की गईं कुछ हत्याओं या हत्या के प्रयासों पर गौर करें तो इसके संकेत साफ तौर पर मिलते हैं। कमलेश तिवारी की हत्या हो या यति नरसिंहानंद को मारने का प्रयास, उदयपुर के आरोपितों के भाजपा ज्वॉइन करने की रणनीति उनके इरादों की ओर साफ इशारा करती हैं।
रियाज अख्तारी और गौस मोहम्मद तीन साल पहले भाजपा में शामिल होने की पुरजोर कोशिश की थी। राजस्थान भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य इरशाद चैनवाला के माध्यम से रियाज अख्तारी ने भाजपा में घुसपैठ करने की कोशिश की थी। साल 2019 में सऊदी अरब में हज करके आने के बाद वह इरशाद से मिला था।
इतना ही नहीं, रियाज उदयपुर में भाजपा के विभिन्न कार्यक्रमों में भी शामिल होता था। वह पार्टी के काम करने की अपनी इच्छा के बारे में अक्सर कहता था। हालाँकि, रियाज अपने दोस्तों के साथ भाजपा की बुराई करता था और उसकी विचारधारा का कटु आलोचक था।
रियाज किसी मोहम्मद ताहिर के माध्यम से भाजपा के कार्यक्रमों में शामिल होता था। यह मोहम्मद ताहिर कौन है, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। बताया जाता है कि ताहिर सबीना में किराए के मकान में रहता था, लेकिन उदयपुर कांड सामने आने के बाद वह मकान छोड़कर लापता हो गया है। ताहिर को भाजपा का कार्यकर्ता बताया जाता है।
भगवा वेश में हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्या करने के पहले प्रयास सामने आ चुके हैं। अक्टूबर 2019 में कमलेश तिवारी की हत्या के लिए हत्यारे हिंदू पहचान के साथ उनसे मिले थे। हत्यारों ने भगवा कपड़े पहन रखे थे। इस मामले में हत्या करने वाले लखनऊ के नाका थाना क्षेत्र के खालसा होटल में ठहरे थे। बाद में पुलिस ने होटल से खून लगा भगवा कुर्ता बरामद भी किया था।
उस समय यह बात सामने आई थी कि हत्यारे भगवा कुर्ता पहन कमलेश तिवारी से मिलने गए थे। उनकी हत्या कर होटल लौटे और फिर कपड़ा बदल फरार हो गए थे। कमलेश तिवारी के हत्यारे भी उनका सिर कलम करने के बाद वीडियो बनाना चाहते थे।
इसी तरह मई 2021 में दिल्ली पुलिस ने गाजियाबाद के डासना स्थित शिव-शक्ति पीठ के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या की साजिश का पर्दाफाश करते हुए जान मोहम्मद डार उर्फ़ जहाँगीर को पकड़ा था। उसके पास से भगवा कपड़ा भी बरामद हुआ था। उस समय यह बात सामने आई थी कि वह साधु के वेश में मंदिर में घुसकर महंत यति नरसिंहानंद की हत्या करना चाहता था।
NIA का मानना है कि हत्या की पिछली कुछ घटनाएँ काफी मिलती-जुलती हैं। इन हत्याओं का पैटर्न एक जैसा ही हैं। गुजरात के अहमदाबाद में 25 जनवरी 2022 किशन भरवाड की हत्या हो या 22 जून 2022 को अमरावती में हुई केमिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या हो या फिर 28 जून को उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या, ये सभी घटनाएँ काफी मिलती-जुलती हैं।
ये सभी हत्याएँ ईशनिंदा के नाम पर की गई थीं। विदेशी लिंक के साथ-साथ कुख्यात पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की भूमिका भी जाँच के दायरे में है। NIA के सूत्रों के हवाले से कहा गया है, “ये एक ही तरह की घटनाएँ हैं। हम लिंक ढूँढ रहे हैं और पैटर्न का अध्ययन कर रहे हैं। सभी मामलों में आरोपितों को आसानी से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने अपने गुनाहों को छिपाने की कोशिश नहीं की।”
कन्हैया लाल मामले की जाँच कर रही NIA ने इसके पीछे आतंकी संगठन की भूमिका से इनकार करते हुए कहा था कि एक बड़ा गिरोह इसके पीछे काम कर रहा है। रियाज का यह चरमपंथी गिरोह राजस्थान सहित देश के कई जिलों में फैले होने के संकेत मिल रहे हैं।
रियाज भाजपा की नीतियों का विरोधी होने के बावजूद वह पार्टी में शामिल होना चाहता है। इससे पता चलता है कि रियाज के इरादों से लगता है कि वह भाजपा में शामिल होकर भगवा खोल में छुपना चाहता था और अपने इरादों को अंजाम देना चाहता था, ताकि उस पर किसी तरह की शंका ना हो।
वह जाकिर नाईक का कट्टर समर्थक है और उसकी तकरीरों वाला वीडियो सुनता था। कन्हैया लाल की हत्या के लिए दोनों ने खुद ही हथियार बनाए थे। ये चाहते तो हथियार खरीद भी सकते थे, लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके पीछे पुलिस से बचने की कोशिश तो कतई नहीं कही जा सकती, क्योंकि इन्होंने घटना को अंजाम देने के बाद इसका वीडियो भी बनाया था। तो इसके पीछे इस्लाम के प्रति अपनी वफादारी साबित करने की कोशिश रही होगी। 5,000 रुपए देकर अपनी बाइक के लिए 2611 (मुंबई आतंकी हमले का दिन) नंबर लेना भी इसी तरफ इशारा करता है।
रियाज साल 2014 में ही पाकिस्तान की यात्रा कर चुका था और लगभग 30 कट्टरपंथियों के साथ 45 दिन की ट्रेनिंग ले चुका था। वह पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लामी और वहाँ के चरमपंथी बरेलवी राजनीतिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक के लगातार संपर्क में था। रियाज का निकाह भी दावत-ए-इस्लामी ने कराया था। बाद में वह मोहम्मद गौस का ब्रेनवॉश कर उसे अपने साथ मिला लिया।
इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा में शामिल होने से पहले ही वह कट्टरपंथी बन चुका था। वह भाजपा का इस्तेमाल संभवत: टारगेटेड नेताओं तक पहुँचने के लिए कर रहा होगा, ताकि एक कार्यकर्ता के रूप में उन तक पहुँच आसान हो जाए।
कन्हैया लाल की हत्या के बाद जिस तरह से दोनों ने वीडियो बनाकर खुलेआम धमकी दी, उससे स्पष्ट है कि ये इस कदर कट्टरपंथी बन चुके हैं कि इन्हें कानून या मौत का डर बिल्कुल नहीं है। वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर धमकी देना इस ओर भी संकेत देता है कि उनके प्रति इन दोनों में मन में गहराई तक घृणा बैठी हुई है।
संभवत: वे पीएम मोदी या सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे अन्य बड़े नेताओं तक पहुँचकर किसी बड़ी घटना को अंजाम देना चाहते थे, क्योंकि यह बात भी सामने आ रही है कि इन्हें एक ‘बड़ी काम’ सौंपा गया था। इसे इस्लामिक जेहाद की सार्वजनिक घोषणा के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि वे हिंदुओं को काफिर बताया था।