Friday, November 15, 2024
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उन्नाव रेप मामला: AIIMS में अदालत लगा लिया जा सकता है पीड़िता का बयान, ट्रायल की समयसीमा बढ़ी

पीड़िता और उसके वकील की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। उसकी माँ ने कुछ ही दिन पहले अदालत में सेंगर और अन्य आरोपितों की शिनाख्त की है।

उन्नाव मामले में एक महत्वपूर्ण प्रगति के तहत सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय को अधिकार दिया है कि वह पीड़िता की गंभीर हालत को ध्यान में रखकर उसका बयान लेने के लिए AIIMS में अस्थायी अदालत लगाने के बारे में निर्णय ले। The Hindu के अनुसार ऐसा ट्रायल की सुनवाई कर रहे जज धर्मेश शर्मा की याचिका का निपटारा करते हुए कहा गया है। समाचारपत्र के अनुसार, इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने CBI को पीड़िता के साथ हुई सड़क दुर्घटना की जाँच के लिए 15 दिन और दिए हैं, और जज शर्मा से कहा है कि वे 45 दिन के भीतर ही मामले की सुनवाई खत्म करने को कोई दबाव न मानें; यदि उन्हें लगता है कि मामले में न्याय के लिए और समय चाहिए तो सुप्रीम कोर्ट को बता दें

सीबीआई को और समय

पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे की जाँच सीबीआई के हाथों में है, जिसे जस्टिस दीपक गुप्ता के नेतृत्व वाली बेंच ने मामले की तफ्तीश पूरी करने के लिए दो हफ्ते की अतिरिक्त मोहलत दी है। 19 अगस्त को एजेंसी को पहले भी दो हफ्ते का समय-सीमा विस्तार दिया गया था।

अपने साथ 2017 में बलात्कार और बाद में सामूहिक बलात्कार का आरोप पीड़िता ने विधायक कुलदीप सेंगर पर लगाया था। साथ ही आरोप लगाया था कि उसके पिता को पहले झूठे आर्म्स एक्ट मामले में हिरासत में ले लिया गया, और बाद में हिरासत में पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई। उपरोक्त मामलों में सीबीआई जाँच के बाद कुलदीप सेंगर पर दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने पॉक्सो एक्ट की धारा 120B, गैंगरेप के अतिरिक्त पीड़िता के पिता को झूठे आर्म्स एक्ट मुकदमे में फँसाने को लेकर आरोप तय कर दिए थे

28 जुलाई को हुआ था हादसा, उसके बाद मिला CJI को लिखा पत्र

28 जुलाई को 19-वर्षीया पीड़िता, उसके वकील और अन्य रिश्तेदारों की कार उलटी दिशा से तेज़ गति में आ रहे ट्रक से भिड़ गई थी। इसमें उसकी दो महिला रिश्तेदारों की मौत हो गई, और उसके वकील की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। उसकी माँ ने कुछ ही दिन पहले अदालत में सेंगर और अन्य आरोपितों की शिनाख्त की है

सड़क हादसे के बाद यह बात भी सामने आई कि 12 जुलाई को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को पत्र लिखकर पीड़िता ने अपनी जान को खतरा बताते हुए गुहार लगाई थी। लेकिन यह समाचार मीडिया के हवाले से मिलने से पहले तक उन्हें वह पत्र प्राप्त नहीं हुआ था। इस बात को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस गोगोई ने इसके बारे में भी स्पष्टीकरण माँगा था कि 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में आ चुका पत्र 30 जुलाई तक उन तक क्यों नहीं पहुँचा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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