उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों से करीब 11,000 लाउडस्पीकर (Loudspeaker) हटाए गए हैं। साथ ही 35,000 से अधिक लाउडस्पीकर के एम्पलीफायर की आवाज धीमी कर दी गई है। पिछले चार दिन में यह कार्रवाई हुई है। राज्य सरकार ने सभी जिलों में 30 अप्रैल तक लाउडस्पीकर को लेकर यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानदंडों का पालन करने का आदेश दे रखा है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है।
इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार (27 अप्रैल 2022) को भी बैठक की। इस दौरान उन्होंने साफ कर दिया कि कानून-व्यवस्था को लेकर कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जहाँ जिसकी शिथिलता पाई जाएगी उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि आगामी पर्व व त्योहार के मद्देनजर विशेष सतर्कता बरतनी है। किसी को भी किसी भी प्रकार से उपद्रव आदि करने की इजाजत नहीं है। सीएम ने कहा कि आस्था का पूरा सम्मान है। इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है, लेकिन इसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन कर दूसरों को परेशान न किया जाए। यह स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से 3 मई को अक्षय तृतीया और ईद के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश दिया। इस दौरान उन्होंने लाउडस्पीकर को लेकर जारी निर्देश पर भी कड़ाई से पालन करने के लिए कहा।
आस्था का पूरा सम्मान, पर दूसरों को परेशानी होना स्वीकार्य नहीं: मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी महाराज pic.twitter.com/44tMIL9Rh6
— Yogi Adityanath Office (@myogioffice) April 28, 2022
जानकारी के मुताबिक लखनऊ से सबसे ज्यादा लाउडस्पीकर (2,395) हटाए गए हैं। आदेश का असर गोरखपुर (1,788), वाराणसी (1,366), मेरठ (1,204), प्रयागराज (1,172) और बरेली (1070) में भी देखने को मिला। लाउडस्पीकर की आवाज कम करने के मामले में भी लखनऊ सबसे ऊपर (7,397) है। लिस्ट में शामिल अन्य प्रमुख शहरों में बरेली (6,257), मेरठ (5,976), गोरखपुर (5561) और वाराणसी (2,417) हैं।
एडिशनल डायरेक्टर जनरल (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, “धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकरों को हटाने और उनके आवाज को तय सीमा के भीतर निर्धारित करने के लिए राज्यव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में 10,923 लाउडस्पीकरों को हटा दिया गया है और 35,221 की आवाज को स्वीकार्य सीमा तक कम कर दिया गया है।” रिपब्लिक मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हम हाई कोर्ट का अनुसरण कर रहे हैं, जिसने लाउडस्पीकरों के लिए विशिष्ट डेसिबल निर्धारित किया है। इसको लेकर जिला प्रशासन को आदेश भेज दिया गया है। इसकी देखरेख के लिए एक कमेटी बनाई गई है। हम धर्मगुरुओं से भी बात कर रहे हैं क्योंकि ज्यादातर लाउडस्पीकर धार्मिक स्थलों पर लगे होते हैं। ड्राइव को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।”
बता दें कि पिछले हफ्ते, सीएम योगी ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस दौरान सीएम ने अफसरों को निर्देश दिए थे कि धार्मिक जुलूस की अनुमति उन्हीं आयोजनों में दिए जाएंँ जो पारंपरिक हों। नए आयोजनों को अनवाश्यक रूप से अनुमति न दी जाए। दिशा-निर्देश में कहा गया था कि माइक का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित हो कि माइक की आवाज़ संबंधित परिसर से बाहर न जाए। इससे अन्य लोगों को कोई असुविधा नहीं हो। नए स्थलों पर माइक लगाने की अनुमति नहीं देने को कहा गया था।
गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि निर्देश के बाद कई जिलों में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के धार्मिक नेताओं ने सर्वसम्मति से लाउडस्पीकर की आवाज कम करने पर सहमति व्यक्त की थी। सबसे पहले मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट ने परिसर स्थित भागवत भवन से लाउडस्पीकर पर हर सुबह 5 बजे से एक घंटे के लिए आयोजित ‘मंगलचरण आरती’ को प्रसारित नहीं करने का निर्णय लिया।
गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट ने भी कम कर दी लाउडस्पीकर की आवाज
बलरामपुर के शक्तिपीठ देवीपाटन तुलसीपुर मंदिर में चार में से तीन लाउडस्पीकर हटा दिए गए और एक की आवाज को कम कर दिया गया। मंदिर के महंत मिथिलेश नाथ ने सभी धर्मगुरुओं से इसका पालन करने की अपील की। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट ने परिसर में लाउडस्पीकर की आवाज कम कर दी। इसके अलावा मंदिर के पास की सड़कों, इलाकों और सार्वजनिक स्थानों से लाउडस्पीकरों को हटा दिया गया। मेरठ में राजराजेश्वरी मंदिर में लाउडस्पीकर की आवाज कम की गई।
इसी तरह लखनऊ में ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद कहा कि उन्होंने यहाँ की सभी मस्जिदों को लाउडस्पीकर की आवाज को सीमित करने का निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आवाज परिसर से बाहर न जाए। उन्होंने कहा कि राज्य की राजधानी में सभी सुन्नी मस्जिदों को इसी तरह के निर्देश जारी किए गए हैं।