उत्तर प्रदेश में जलवायु परिवर्तन से लड़ने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की श्रृंखला में रविवार (जुलाई 4, 2021) को लगभग 25.5 मिलियन अर्थात 25.5 करोड़ पौधे लगाए गए।
रिपोर्ट्स के अनुसार पूरे दिन चलने वाला यह वृक्षारोपण कार्यक्रम 68,000 गाँवों और 83,000 वनीय क्षेत्रों में आयोजित किया गया। इस वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान सरकारी अधिकारियों, वालेंटियर्स, जन-प्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। लखनऊ में सामाजिक संगठनों के द्वारा पीपल के पेड़ लगाए गए। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार 25 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य 12 घंटे के अंदर हासिल कर लिया गया।
उत्तर प्रदेश ने 12 घंटे में 25 करोड़ पौधे लगा कर रिकॉर्ड बनाया है।
— Government of UP (@UPGovt) July 5, 2021
प्रदेश सरकार 05 वर्ष में 100 करोड़ पौधे लगा चुकी है। pic.twitter.com/OdAaI9ckgc
भारत ने अपने स्थल भाग का एक तिहाई हिस्सा फॉरेस्ट कवर के अंदर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वृक्षारोपण कार्यक्रम 4 साल पहले ही शुरू कर दिया था। राज्य वन मंत्री दारा सिंह चौहान के मुताबिक यूपी में फॉरेस्ट कवर 3% से अधिक बढ़ा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.89% है।
राज्य वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मनोज सिंह ने बताया, “हम उत्तर प्रदेश में फॉरेस्ट कवर को 15% से अधिक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह लक्ष्य अगले 5 सालों के लिए तय किया गया है। आज के वृक्षारोपण अभियान के तहत 100 मिलियन से अधिक पौधे लगाए गए हैं।”
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक लाइव डैशबोर्ड भी शेयर किया है जहाँ वृक्षरोपित किए गए पौधों की संख्या को ट्रैक किया जा सकता है। डैशबोर्ड यहाँ से चेक किया जा सकता है।
हालाँकि इन पौधों का जिंदा रहना ही चिंता का एक विषय होता है। रिपोर्ट्स के अनुसार वृक्षारोपण के बाद 60% पौधे ही जीवित रह पाते हैं। बाकी पौधे या तो पानी की कमी से या बीमारी के कारण नष्ट हो जाते हैं। यूपी के वन मंत्री चौहान ने सूचना दी कि राज्य में पिछले 4 सालों के दौरान बेहतर देखरेख और जियो-टैगिन्ग के कारण इन पौधों के जीवित रहने की दर बढ़कर 80% हो गई है। भारत सरकार ने भी सभी राज्यों को यह निर्देशित किया है कि वे 2015 पेरिस समिट के दौरान तय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वृक्षारोपण बढ़ाएँ। 2030 तक भारत में लगभग 95 मिलियन हैक्टेयर भूमि को जंगलों से कवर करने के लिए 6.2 बिलियन डॉलर (लगभग 46,050 करोड़ रुपए) खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।